बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के नेताओं का कहना है कि बलूचिस्तान के लोगों को आतंकित करने के लिए पाक सेना का दमनचक्र जारी है। बलूचों की आवाज को बंद करने के लिए महिलाओं को यौन शोषण का खुलतौर पर शिकार बनाया जाता है। ताकि लोगों में संदेश जाए कि अगर बलूचों ने पाक सरकार का विरोध किया तो इसी तरह महिलाओं के साथ अत्याचार का सिलसिला जारी रहेगा। इतना ही मासूम बच्चों और निर्दोष लोगों को एक षडयंत्र के तहत पाक सेना दमन करने में जुटी है। एनएनएम के कार्यकर्ताओं का कहना है कि बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन आम बात है। इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को फर्जी केस फंसाकर जेल में डाल दिया जाता है। दमन के खिलाफ आवाज उठाने वालों का एनकाउंटर तक किया जा रहा है।
इससे पहले मई 2017 और 2018 में भी बीआरपी के कार्यकर्ताओं पाक सरकार के खिलाफ लंदन, यूएन भवन, कनाडा, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों में अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तान की बर्बर कार्रवाइयों के विरोध में बलूच रिपब्लिकन पार्टी (बीआरपी) ने तो पाकिस्तानी उच्चायोग के समक्ष भी प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना पर बलूच महिलाओं को अगवा करने और इलाके में खूनखराबा करने का आरोप लगाया। बीआरपी की ब्रिटिश इकाई के अध्यक्ष मंसूर बलोच ने कहा था कि इस प्रदर्शन का मकसद पाकिस्तानी सेना की ज्यादतियों को दुनिया की नजर में लाना था। प्रदर्शन में बलूचिस्तान के डेरा बुग्ती और बोलान इलाके से अगवा की गई बलूच महिलाओं का विवरण सार्वजनिक किया गया। पाकिस्तानी उच्चायोग से प्रदर्शनकारी जुलूस की शक्ल में प्रधानमंत्री टेरीजा मे के कार्यालय 10, डाउनिंग स्ट्रीट तक गए।