इसी कड़ी में नीदरलैंड ( Netherlands ) की राजधानी एम्सटर्डम ( Amsterdam ) में अज्ञात बदमाशों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा ( Statue of mahatma gandhi ) को भित्ति चित्रों और स्प्रे पेंटिंग से रंग दिया। डच अखबार ‘मेट्रो’ के अनुसार एम्सटर्डम में चर्चीलान स्थित गांधी की प्रतिमा को लाल रंग से रंग दिया और फिर इसके नीचे ‘नस्लवादी’ टिप्पणी लिख दी।
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मामला सामने आने के बाद एम्सटर्डम के एक अधिकारी ने कहा कि हम किसी भी तरह से हिंसा और इस तरह से प्रतिमाओं की तोड़फोड़ के खिलाफ हैं। इन चीजों पर भद्दी बातें लिखना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने आगे कहा कि प्रतिमा की साफ-सफाई कराई जाएगी। फिलहाल, ये पता नहीं चल सका है कि इस तरह की ओछी हरकत करने के पीछे कौन है। प्रतिमा की मरम्मत का काम करने वाली कुन्स्वाच के एक कर्मचारी ने कहा कि प्रतिमा को साफ करने के काम में घंटों लग सकते हैं।
बता दें एक 75 वर्षीय शख्स ने बताया कि उसने बुधवार को प्रतिमा को लाल रंग से रंगा देखा। इसके बाद उसने फौरन म्युनिसिपैलिटी को सूचना दी। उन्होंने कहा ‘मैं 40 वर्षों से यहां रह रहा हूं और मैंने पहले ऐसा कभी नहीं देखा। मैं कई वर्षों से इस प्रतिमा को देख रहा हूं।’
मालूम हो कि महात्मा गांधी की 121वीं जयंती के सम्मान में दो अक्टूबर 1990 को चर्चीलान में इस प्रतिमा का अनावरण किया गया था।
कई देशों में हो चुकी है ऐसी घटना
आपको बता दें कि इस तरह की घटना हाल के दिनों में कई देशों में देखने को मिला है। इससे पहले सेंट्रल लंदन के प्रदर्शनकारियों ने पार्लियामेंट स्क्वायर पर लगे पूर्व पीएम विंस्टन चर्चिल की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया था। इतना ही नहीं इसपर लिखा- चर्चिल नस्लभेदी थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने चर्चिल विरोधी नारे भी लगाए। इस घटना के बाद लंदन के वेस्टमिंस्टर डिस्ट्रिक्ट में कर्फ्यू ( Curfew ) लगा दिया गया और भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया।
आपको बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने चर्चिल की एक और प्रतिमा को तोड़ दिया है। पूर्वोत्तर लंदन में वुडफोर्ड ग्रीन में स्थित विंस्टन चर्चिल की दूसरी प्रतिमा है जिसे इस सप्ताह प्रदर्शनकारियों ने खंडित कर दिया। चर्चिल 1924 से 1964 तक इस क्षेत्र में सांसद के रूप में कार्य किया था। चर्चिल की यह प्रतिमा 1959 में बनाई गई थी।
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इसके पहले प्रदर्शनकारियों ने अमरीका के रिचमॉन्ड शहर स्थित क्रिस्टोफर कोलंबस की प्रतिमा तोड़ दी थी। इतना ही नहीं उसमें आग लगा दी और एक नदी में फेंक दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हजारों की संख्या प्रदर्शनकारी शहर के बायर्ड पार्क में जमा हुए और विरोध जताया और फिर उसके करीब दो घंटे से कम समय में प्रदर्शनकारियों ने कोलंबस की प्रतिमा को उखाड़ फेंका था।