वॉशिंगटन। वह दिन दूर नहीं जब लकवेके मरीज भी आम लोगों की तरह ही चल-फिर सकेंगे। अमरीका में पहली बार ऐसा सफल प्रयोग हुआ है, जिससे उम्मीद जगी है। अमरीकी डॉक्टरों ने लकवाग्रस्त पांच मरीजों की रीढ़ की हड्डी में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाया है। इस प्रयोग के नतीजे संतोषजनक रहे हैं। पांच में से तीन मरीज तो फिर चलने लगे, जबकि बाकी दो का इलाज हो रहा है।
डॉक्टरों के मुताबिक, इंसान की रीढ़ की हड्डी में किसी तरह के उपकरण लगाने का प्रयोग पहली बार हुआ है। शोध की प्रमुख डॉ. क्लॉडिया एंजेली कहती हैं रीढ़ की हड्डी में शरीर की कई चीजों को नियंत्रित करने की ताकत होती है। घायल होने से पहले तक उसे मस्तिष्क से निर्देश मिलते थे। लेकिन रीढ़ के चोटिल होने के बाद मस्तिष्क से संदेश उस तक नहीं पहुंचते। यह जगह एक तरह से सुन्न हो जाती है। उपकरण को शरीर में लगाने के बाद रीढ़ में इलेक्ट्रिक तरंगें पैदा हुईं। इसके चलते रीढ़ की हड्डी की सक्रियता बढ़ी और उसने मस्तिष्क के संदेशों को लेना शुरू कर दिया। यह एक मोटर जैसा होता है, जिसमें करंट जाते ही वह स्टार्ट हो जाती है। शोध न्यू इंग्लैंड जर्नल में प्रकाशित है।
पोलियो की आहट! वायरस की पुष्टि से हड़कंप, महाराष्ट्र और यूपी में अलर्ट जारीऐसे मरीजों को चलते-फिरते देखना सुखद केंटुकी स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी रिसर्च सेंटर (रीढ़ की चोट के मरीजों पर शोध करने वाला संस्थान) की डॉ. क्लॉडिया एंजेली के मुताबिक मरीजों को चलते देखना सुखद अनुभव है। खासतौर पर यह उन लोगों के लिए भी भावुक पल होता है, क्योंकि वे मान चुके होते हैं कि अब कभी नहीं चल पाएंगे।
ऐसे हुआ यह अनोखा प्रयोग डॉ. एंजेली व उनके सहयोगियों ने बताया कि उनके मरीज कई साल पहले दुर्घटनाग्रस्त थे। इलाज के दौरान उनकी रीढ़ की हड्डी में 16 इलेक्ट्रोड लगाए गए। यह उपकरण मूल रूप से दर्द नियंत्रित करने के लिए बनाए गए थे। उपकरण शरीर में चोट वाली जगह के नीचे लगाया जाता है। इसके जरिए पैरों में कंपन पैदा करने वाले संदेश एक बैटरी द्वारा भेजे जाते हैं। बैटरी पेट में लगाई जाती है जो मांसपेशियों की ऊर्जा से संचालित होती है। इस उपकरण को एपीड्यूरल स्टिम्यूलेशन (शरीर के अंग को काम करने के लिए प्रेरित करना) कहा जाता है। यह इस सिद्धांत पर काम करती है कि मस्तिष्क के कुछ संदेश रीढ़ में लगी चोट को पार कर जाएं। भले ही ये संदेश अंग में गति ला पाने में सक्षम न हों।
…गांधीजी ने किया था आत्महत्या का प्रयासकई बार करना पड़ा व्यायाम उपकरण लगाने के बाद मरीजों को कई बार व्यायाम करना पड़ा। दो मरीज फिलहाल बिना किसी मदद के चलने लगे हैं। केली थॉमस नाम की मरीज को 15 हफ्ते लगातार व्यायाम करना पड़़। फिलहाल वे वॉकर की मदद से चल रही हैं। जेफ मार्कस नाम के मरीज 90 मीटर चले। जेफ के मुताबिक, कार दुर्घटना के बाद मैं यही सोचता था कि अब शायद ही चल पाऊंगा।