एस जयशंकर पहली बार चर्चा में तब आए थे जब मोदी ने 2014 मेंअपनी पहली अमरीकी यात्रा की थी। कहा जाता है कि इस यात्रा की योजना तैयार करन और इसे सफल बनाने में जयशंकर की अहम भूमिका थी। यह भी कहा जाता है इस दौरे पर पहले पीएम मोदी का पब्लिक को संबोधन करने का कार्यक्रम नहीं था लेकिन बाद में एस जयशंकर ने मेडिसन स्क्वायर पर प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन करवाया। जैसा कि हम सब जानते हैं कि यह पीएम के विदेशी दौरों के सबसे सफल कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है। यही नहीं, डोकलाम विवाद से लेकर संयुक्त राष्ट्र में कई मुद्दों पर भारत का पक्ष रखने में एस जयशंकर की भूमिका प्रमुख रही है। यही नहीं, एस जयशंकर को चीन, अमरीका और रूस तीनों ही देशों में में काम करने का अनुभव है।
मोदी सरकार का पहला दिन कूटनीति के नाम, आज विदेशी मेहमानों से रूबरू हो रहे हैं पीएम
खाते में दर्ज हैं बड़ी उपलब्धियांमीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की चर्चा है कि एस जयशंकर पीएम मोदी से पहली बार 2012 में मिले जब मोदी चीन के दौरे पर गए हुए थे। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। जनवरी 2015 वह विदेश सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन किए गए। तबसे लेकर जनवरी 2018 वह भारत के विदेश सचिव रहे। विदेश सचिव रहते हुए उन्होंने शानदार काम किया। असल में विदेश सचिव के रूप में अपने तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने विदेश नीति को ठोस आधार प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाई। सुषमा स्वराज की विदेश मंत्री के रूप में सफलता का बड़ा श्रेय एस जयसंकर को ही जाता है। माना जाता है कि उनकी नीतियों से भारत के संबंध अरब देशों के साथ-साथ चीन और अमरीका से भी मजबूत हुए। जयशंकर को इसी साल जनवरी में पद्मश्री से नवाजा गया था ।
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