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HIV से ठीक होने वाले दुनिया के पहले शख्स Timothy Ray Brown की कैंसर से मौत

HIGHLIGHTS

Timothy Ray Brown Dies Of Cancer: HIV जैसे घातक जानलेवा बीमारी को हराने वाले दुनिया के पहले शख्स टिमौथी रे ब्राउन की कैंसर से मौत हो गई।
ब्राउन के पार्टनर टिम हॉफगेन ने सोशल मीडिया पोस्ट कर बताया कि बीते पांच महीने तक वे कैंसर से लड़ते रहे और आखिकार वे इस लड़ाई में हार गए।

Oct 01, 2020 / 05:01 pm

Anil Kumar

Timothy Ray Brown Dies Of Cancer

HIV से ठीक होने वाले दुनिया के पहले शख्स Timothy Ray Brown की कैंसर से मौत

वाशिंगटन। ‘द बर्लिन पेशेंट’ के नाम से मशहूर हुए अमरीका के कैलिफॉर्निया के स्प्रिंग्स शहर में रहने वाले टिमोथी रे ब्राउन की मौत ( Timothy Ray Brown Dies Of Cancer ) हो गई। वे 54 वर्ष के थे। दुनिया में सबसे पहले HIV जैसे घातक जानलेवा बीमारी को हराने वाले ब्राउन आखिरकार कैंसर से लड़ते हुए अपनी जिंदगी हार गए।

टिमोथी ब्राउन एचआईवी संक्रमण से मुक्त होने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे। ब्राउन के पार्टनर टिम हॉफगेन ने सोशल मीडिया पोस्ट कर जानकारी साझा करते हुए बताया कि बीते पांच महीने से वे कैंसर से लड़ते रहे और आखिकार वे इस लड़ाई में हार गए।

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बता दें कि एक दशक पहले तक एड्स जैसे बीमारी को लोग बुरी नजरों से देखते थे और यही कारण है कि इस तरह के मरीज के बीमारी से ठीक होने के बावजूद पहचान उजागर नहीं किया जाता था। इस तरह के मरीजों को सिर्फ पेशेंट कहा जाता था।

इसी वजह से एक सम्मेलन में ब्राउन की पहचान को छिपाने के लिए उन्हें ‘बर्लिन पेशेंट’ नाम दिया गया और तब से वे पूरी दुनिया में ‘बर्लिन पेशेंट’ के नाम से ही पहचाने जाने लगे। HIV से ठीक हुए ब्राउन फिर दुनिया के लिए एक मिसाल बने।

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ब्राउन 1995 में AIDS से संक्रमित पाए गए थे

आपको बता दें कि टिमौथी रे ब्राउन पढ़ाई के सिलसिले में 1995 में बर्लिन में रह रहे थे, तब उन्हें पता चला कि वे HIV से संक्रमित हैं। एचआईवी के इलाज के बाद ब्राउन एक वर्ष से अधिक समय तक पूरी तरह स्वस्थ रहे। हालांकि उसके एक दशक के बाद वे ल्यूकेमिया से ग्रसित हो गए। ल्यूकेमिया एक प्रकार का कैंसर है, जो सीधे-सीधे खून और हड्डियों के मज्जे या बोनमेरो को प्रभावित करता है।

ब्राउन के ल्युकेमिया को ठीक करने के लिए फ्री यूनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन में उनके डॉक्टर ने CCR5 नामक जीन उत्परिवर्तन के साथ स्टेम कोशिकाओं का प्रत्यारोपण किया था। CCR5 म्यूटेशन एक दुर्लभ जेनेटिक म्युटेशन है, जो कि अधिकांश उत्तरी यूरोपीय मूल के लोगों में पाया जाता है। CCR5 म्यूटेशन एड्स पैदा करने वाले वायरस के लिए उन्हें प्रतिरोधी बनाता है। इसके बाद 2008 में ब्राउन को दोनों ही बीमारियां से मुक्त घोषित कर दिए गए।

इस तरह से ब्राउन बन गए ‘ब्रलिन पेशेंट’

आपको बता दें कि HIV संक्रमित लोगों की पहचान गुप्त रखी जाती है। उस समय भी ब्राउन का नाम गुप्त रखने पर विचार किया जा रहा था। इस बीच एक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जहां पर उन्हें ‘द बर्लिन पेशेंट’ नाम दिया गया।

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हालांकि उन्होंने दो साल बाद खुद अपने नाम को सार्वजनिक करने का फैसला किया और वे लोगों के बीच एक मशहूर शख्स बन गए। उन्होंने कई साक्षात्कार और भाषणों में अपने अनुभवों को बताया। ब्राउन ने 2012 में एक भाषण में कहा था कि वे खुद आपके सामने एक मिसाल हैं कि एड्स का इलाज संभव है।

मालूम हो कि ब्राउन के ठीक होने के 10 साल बाद ‘लंदन पेशेंट’ के तौर पर एक और शख्स का नाम सामने आया, जिसका इलाज भी ठीक उसी तरह से किया गया था, जैसे ब्राउन का हुआ था। उसकी पहचान एडम कॉस्टिलेयो के रूप में हुई है जो आज पूरी तरह से एचआईवी से मुक्त है।

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