अब अपने यूरिन से भी कर सकेंगे Smartphone चार्ज, बस करना होगा ये...
ब्रिस्टल रोबोटिक्स लेबोरेटरी के कई वैज्ञानिक काफी समय से एक अनोखी तकनीक पर काम कर रहे थें।

नई दिल्ली: किसी भी स्मार्टफोन का सबसे इम्पोर्टेंट पार्ट उसकी बैठरी होती है। जिसे लेकर आए दिनों मोबाइल निर्माता कंपनियां भी अपने स्मार्टफोन्स में लम्बी बैटरी बैकअप होने का दावा भी करती रहती हैं। यह तो आप भी जानते होंगे कि अगर आपके हैंडसेट की बैटरी खत्म हो जाए तो इसे यूज में नहीं लिया जा सकता वहीं बिना बैटरी कि कोई भी डिवाइस एक बेकार डिब्बे की तरह होती है। आज के समय में हम अपना सबसे ज्यादा समय अपने स्मार्टफोन के साथ ही गुजारते हैं। इतना ही नहीं अगर हमारा स्मार्टफोन कुछ समय के लिए हमसे दूर हो जाता है तो हम काफी परेशान भी हो जाते हैं। अपने हैंडसेट में हम गेम्स,कोई भी टिक्ट बुक करना हो, सोशल मीडिया प्लेटफार्म से लेकर ढेरों ऐप में अपना काफी समय लगा देते हैं। जब हम अपना सबसे ज्यादा समय अपने स्मार्टफोन को देते हैं तोे जाहिर सी बात है कि इसकी बैटरी भी चार्ज करनी होती है, यह तो हम सारे जानते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि आप अपना स्मार्टफोन अपने यूरिन से भी चार्ज कर सकते हैं तोे आप जरूर चौक जाएंगे।
तो आइए जानते हैं कि हम अपना हैंडसेट अपने यूरिन से कैसे चार्ज कर सकते हैं।
ब्रिस्टल रोबोटिक्स लेबोरेटरी के कई वैज्ञानिक काफी समय से एक अनोखी तकनीक पर काम कर रहे थें। उनकी माने तो, बेकार की चीजों से सबसे अधिक मात्रा में ऊर्जा विकसित की जा सकती है। ऐसे में ह्यूमन यूरिन एक ऐसी चीज है जिसका उत्पादन कभी बंद नहीं हो सकता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने ह्यूमन यूरिन से पॉवर जनरेट करने की सोचीं। उन्होंने बताया कि मानव यूरिन कोे माउक्रोबियल फ्यूल सेल के बीच से गुजारने पर थोड़ी मात्रा में एनर्जी जनरेट होती है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल चार्जिंग जैसी छोटी-मोटी चीजों में किया जा सकता है। इस शोध से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार इस तकनीक का इस्तेमाल एक सामान्य घर के वाशरूम में भी किया जा सकता है। जिससे उत्पादित उर्जा का इस्तेमाल बाथरूम की लाइट, मोबाइल चार्जिंग और अन्य छोटे-मोटे कामों में किया जा सकता है।
आइए जानते हैं क्या होता है माइक्रोबियल फ्यूल सेल (MFC)?
माइक्रोबियल फ्यूल सेल एक तरह का फ्यूल कनवर्टर है। इसका उपयोग आर्गेनिक मैटर को सीधे इलेक्ट्रिसिटी में बदलता है। इस पूरी प्रक्रिया के लिए जीवित सूक्ष्म जीवों का प्रयोग किया जाता है वहीं उर्जा इन जीवाश्म का बाय-प्रोडक्ट होता हैं। जो यूरिन के साथ मिलकर उत्पादित होती है।
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