यह भी पढ़ें-
UP Weather Updates : जुलाई में ‘सूखा’ जैसे हालात, मौसम विभाग का पूर्वानुमान- अगले 48 घण्टों में बरसेंगे बदरा पंतनगर यूनिवर्सिटी के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि 15 जुलाई तक औसतन 250 मिली मीटर बारिश होती है, लेकिन अभी तक सिर्फ 7 मिलीमीटर बारिश हुई है। वहीं, पूरे जुलाई माह में औसतन 350 मिली मीटर बारिश होती है। इसी तरह जून की बात करें तो जून में औसतन 200 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार जून में केवल 136 मिली मीटर बारिश ही हुई। उन्होंने कहा कि आसमान में बादल छाए हुए हैं और ठंडी हवाएं भी चल रही हैं, लेकिन फिर भी बारिश नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि सामान्यत: इस तरह का मौसम जुलाई के अंतिम सप्ताह या अगस्त के शुरुआत में होता है। इस साल यह शुरुआत में ही आ गया है। उन्होंने बताया कि इस बार मानसून पर पूरे 22 दिन का ब्रेक लगा है। उन्होंने बताया कि मानसून की शुरुआत में 8 से 10 दिन लगातार जमकर बारिश होती है।
जलवायु परिवर्तन का असर डॉ. आरके सिंह ने बताया कि मानसून पर 22 दिन का ब्रेक लगा है। यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। उन्होंने बताया कि मौसम विभाग ने एक शोध किया है, जिसमें यह पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान बढ़ने के कारण जिस तरह का मौसम रहेगा, वह अति होगी। शोध के अनुसार बारिश होगी तो बहुत अधिक होगी और यदि सूखा पड़ा तो वह भी बहुत अधिक होगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पहाड़ों में बादल फटने की घटनाएं भी बहुत अधिक हो रही हैं। इससे पहले दो-तीन साल में बादल फटने की घटना एक बार होती थी, लेकिन पिछले एक साल में तीन-चार बार बादल फट चुके हैं।