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रिपोर्ट आई ये
जनवरी में महाकुम्भ के मद्देनजर नदियों के पानी को साफ़ करने की योजना थी,सोमवार जो रामगंगा नदी के पानी की रिपोर्ट आई उसमें कई रसायन खतरनाक स्तर को पार कर चुके हैं। जिस कारण नदी में नहाना तो दूर आचमन भी खतरनाक हो सकता है। ये हाल तब है जब पिछले दिनों एनजीटी से लेकर स्थानीय प्रशासन ने लाख दावे नदी के साफ़ करवाने के किये थे।
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होगी कार्यवाही
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी डॉ आर के सिंह के मुताबिक शहर के साथ ही नदी के पानी के कई और जगह से भी नमूने भरे गए थे। जिनमें तय मानक से ज्यादा प्रदूषण मिला है। जिन इकाइयों से नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है उन पर अब कार्यवाही की जायेगी।
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इनसे होता है पानी खराब
यहां बता दें कि रामगंगा में बिजनौर से लेकर मुरादाबाद में 500 से अधिक छोटी बड़ी फैक्ट्रियां हैं,जिनका गंदा पानी बिना शोधन के ही नदी में छोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही शहर के सभी गंदे नाले सीधे रामगंगा में जा रहे हैं। जल निगम अभी तक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट शुरू ही नहीं कर पाया। जोकि पिछले कई सालों से लंबित है।
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आसपास की आवोहवा भी हुई खराब
प्रदूषण के चलते न सिर्फ रामगंगा का पानी ही खराब हो रहा है बल्कि उसके आस पास की वनस्पति भी खराब हो रही है। रामगंगा और शहर में एयर पोलुशन कंट्रोल बोर्ड के प्रोजेक्ट से जुड़ीं डॉ अनामिका त्रिपाठी के मुताबिक नदी में गंदे नालों के साथ ही बड़ी मात्रा में ई कचरा डाला जा रहा है। इससे शहर की आवोहवा भी खराब हो चुकी है। इसको लेकर कई बार स्थानीय प्रशासन को रिपोर्ट दी जा चुकी है,लेकिन अवैध रूप से ई कचरे की भट्टियां अभी भी जल रहीं हैं।