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मोरेना

सरसों की ये किस्म से करें पैदावार, किसान होंगे मालामाल

किसानों को खेती के तरीके बताकर सस्ता बीज भी उपलब्ध कराएगा

मोरेनाOct 15, 2019 / 01:23 pm

राहुल गंगवार

Advanced variety of mustard

Advanced variety of mustard

मुरैना. खरीफ की प्रमुख फसल बाजरे में बाढ़ और बारिश से हुए नुकसान की भरपाई किसान रबी सीजन में सरसों की उन्नत किस्मों से ज्यादा उत्पादन और मुनाफा ले सकते हैं। आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र इसके लिए खास किस्म उपलब्ध कराएगा। वहीं केंद्र द्वारा विकसित प्रजाति के लिए भी किसानों को जागरुक किया जा रहा है। राजस्थान में प्रचलित 3 प्रतिशत तक ज्यादा तेल देने वाली प्रजाति का बीज इस बार मुरैना में भी उपलब्ध कराया जाएगा।

केंद्र के वैज्ञानिकों ने भरतपुर में विकसित एनआरसीएचबी-101 प्रजाति का सरसों बीज इस बार किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्र में राई-सरसों परियोजना के प्रभारी और पादप रोग प्रभारी डॉ जेसी गुप्ता के अनुसार बाजार की तुलना में यह बीज 5 गुना तक कम कीमत पर किसानोंं को मिलेगा। इसका उत्पादन सामान्य सरसों बीज की तुलना में 5 क्विंटल तक अधिक होता है। सामान्य सरसों का उत्पादन 20 क्विंटल तक होता है जबकि एनआरसीएचबी-101 प्रजाति से किसान 25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। वहीं दूसरी प्रजाति आवीएम-2 (राजविजय मस्टर्ड-2) का बीज भी केंद्र से किसानोंं को दिया जा रहा है। मुरैना में ही विकसित इस बीज से किसान 20-25 क्विंटत तक उत्पादन ले सकते हैं। दोनों ही प्रजातियों का बीज 60-85 रुपए प्रति किलो तक में उपलब्ध होता है जबकि बाजार में इसका भाव 250-400 रुपए किलो तक होता है।

सल्फर का प्रयोग जरूरी
सरसों की खेती करने वाले किसानों को उसमें सल्फर की मात्रा देना जरूरी होता है। इससे जहां तेल की गुणवत्ता ठीक होती है वहीं फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। मृदा सुधार भी होता है।

भरतपुर से आई नई किस्म
सह संचालक अनुसंधान, आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र मुरैना डॉक्टर वायपी सिंह ने बताया कृषि अनुसंधान केंद्र अपनी आरवीएम-2 प्रजाति से उत्पादन बढ़ाने में कामयाब रहा है। इस बार भरतपुर से नई प्रजाति लाए हैं। इसमें सामान सरसोंं में 38 की जगह 41 फीसदी तक तेल की मात्रा मिलती है। उत्पादन भी 25 से 30 क्विंटल तक जाता है। बीज भी किसानों को चार-पांच गुना कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों को सरसों की बोवनी शुरू करनी चाहिए। समय भी उपयुक्त है और मौसम भी अनुकूल है। पलेवा की अभी जरूरत नहीं है।

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