लखन शर्मा@इंदौर। नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर इन दिनों शहर के डब्बा कारोबार पर दिखाई दे रहा है। यहां होने वाले सौदे 80 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। जो लोग चोरी छिपे इस कारोबार में लगे थे, वे अब इन दिनों हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं।
इन कारोबारियों का हर दिन लाखों रुपए का लेनदेन होता था, लेकिन नोटबंदी के बाद यह करोबार प्रभावित हुआ है क्योंकि कारोबार करने वाले और सौदे करने वाले दोनों ही पक्ष 500-1000 के नोट स्वीकार नहीं कर रहे हैं। बाजार में 100-50 के नोटों की कमी है और 2 हजार के नोट भी अब तक लाखों रुपए में लोगों के पास नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में शहर में डब्बे के सौदे बंद हो गए हैं।
इसका एक असर लीगल तरीके से चलने वाले वायदा बाजार पर देखा जा रहा है जहां सौदे बढ़ गए हैं, यहां ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होते हैं इसलिए जिन लोगों की इसमें रुचि है वह अब भी वैध तरीके से सौदे कर रहे हैं।
यह होता है डब्बा कारोबार
डब्बा ट्रेडिंग में भी शेयर और कमोडिटीज का कारोबार होता है। फर्क इतना है कि जहां रजिस्टर्ड ब्रोकर अपने निवेशक और कमोडिटी या स्टॉक एक्सचेंजों के बीच एजेंट का काम करता है, वहीं डब्बा चलाने वाला अपने आप में एक पूरी संस्था होता है।
वह अपने ग्राहकों द्वारा किए जाने वाले सौदों को केवल अपने रजिस्टर में दर्ज करता है, उसके आगे ये सौदे एक्सचेंज या बाजार तक नहीं पहुंचते। उसी के स्तर से इन सौदों का निबटारा हो जाता है। इसमें मुनाफे का आकर्षण इतना अधिक होता है कि लालच के चलते लोग इस गैरकानूनी कारोबार के प्रति आकर्षित हो जाते हैं।
शहर में 200 से अधिक बड़े कारोबारी हैं शामिल
शहर में डब्बे का कारोबार बड़े पैमाने पर संचालित किया जाता था। यहां 200 से ज्यादा ऐसे बड़े डब्बे कारोबारी हैं जो घरों, फ्लेटों और बंगलो में बैठकर यह कारोबार संचालित करते हैं। अब तक शहर में डब्बे में पैसे हार जाने के बाद कई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। शहर के एक डब्बा कारोबारी ने तो एमसीएक्स की तर्ज पर फर्जी एक्सचेंज तक खड़ा कर दिया था, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई थी।
कर्मचारियों को दिया अवकाश
खास बात है कि शहर के डब्बा कारोबारियों ने इन दिनों अपने कर्मचारियों को अवकाश पर भेज दिया है। डब्बा कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि नए नोटों की कमी और पुरानों का चलन बंद हो जाने के बाद डब्बा करोबार एक बार फिर सुचारू रूप से चलने में 6 महीने से 1 साल का समय लग जाएगा, क्योंकि अधिकांश लोग यहां लाखों रुपए कमाते और गंवाते हैं जो बेहिसाब होता है।
एक महिला का बड़ा गिरोह
शहर में डब्बा कारोबार में एक महिला का बड़ा गिरोह काम करता है। शहर के साथ ही प्रदेश के कई स्थानों पर उक्त महिला ने ऑफिस खोल रखे हैं। नए सौदे जब इन दिनों बंद हंै तो इन डब्बा कारोबारियों द्वारा पूर्व में हुए सौदों के लिए वसूली चल रही है, इसके लिए लोगों को डराया धमकाया जा रहा है।
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