वामन अवतार में विष्णु राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए, उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप लिए। पहले पग में नीचे और दूसरे में ऊपर के लोक नापे। जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने कमंडलु में से जल लेकर चरण धोए और चरणामृत को वापस कमंडल में रख लिया। वह चरणामृत गंगा जल बन गया, जो आज भी सारी दुनिया के पापों को धोता है, ये शक्ति उनके पास भगवान के चरणों की ही थी, जिस पर ब्रह्मा जी ने साधारण जल चढ़ाया था, वह चरणों का स्पर्श पाते ही गंगाजल बन गया।