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MMRDA को इस तरह मिली बड़ी राहत, कोर्ट ने याचिका की खारिज ?

locationमुंबईPublished: Nov 19, 2019 10:17:54 am

Submitted by:

Rohit Tiwari

एमएमआरडीए आयुक्त ( MMRDA Commissioner ) को है बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं ( Development Projects ) का अधिकार, एमएमआरडीए को मिली बड़ी राहत ( Great Relief ) , विशेषाधिकारों ( Privileges ) को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (Public Interest Litigation ) खारिज, कुछ साल पहले नियमों में किया गया था संशोधन ( Amendment )

MMRDA को इस तरह मिली बड़ी राहत, कोर्ट ने याचिका की खारिज ?

MMRDA को इस तरह मिली बड़ी राहत, कोर्ट ने याचिका की खारिज ?

मुंबई. मुंबई में सड़क, फ्लाईओवर और अन्य बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए नगर आयुक्त के रूप में एमएमआरडीए आयुक्तों को दिए गए विशेषाधिकार किसी भी तरह से नगर पालिकाओं और नगर निगम आयुक्तों के अधिकारों को बाधित करने के लिए नहीं हैं। वास्तव में उन्हें विशिष्ट उद्देश्यों के लिए एमएमआरडीए आयुक्त को सौंप दिया गया है। उच्च न्यायालय ने एमएमआरडीए आयुक्त के विशेषाधिकारों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि वे घटना के उल्लंघनकर्ता नहीं थे। इसलिए एमएमआरडीए के लिए यह राहत की बात है। एमएमआरडीए आयुक्त की ओर से कुछ साल पहले एमएमआरडीए नियमों के बुनियादी ढांचे के विशेषाधिकार में संशोधन किया गया था।
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उच्च न्यायालय में दी गई थी चुनौती…
विदित हो कि राजकुमार अवस्थी और दो अन्य ने जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय में संशोधन को चुनौती दी थी। केवल चुनाव से चुने गए लोगों के प्रतिनिधियों को ही विकास परियोजनाओं को पूरा करने का अधिकार है। एक नागरिक प्रणाली के रूप में नगरपालिका और नगर आयुक्त के पास ये अधिकार हैं, लेकिन एमएमआरडीए अधिनियम की धारा 17 में संशोधन करने का अधिकार एमएमआरडीए के आयुक्त को दिया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि एमएमआरडीए आयुक्त को नगरपालिका आयुक्त का अधिकार देने का यह संशोधन इसलिए तथ्यों के साथ-साथ नगर पालिका और नगरपालिका आयुक्त के अधिकारों का उल्लंघन है।
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एमएमआरडीए संशोधन को माना गया वैध…
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति सत्यरंजन धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति रियाज छागला की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के दावों को गलत ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया। मुंबई नगर निगम की सीमा के अंदर किसी भी बुनियादी ढांचा परियोजना को लागू करते समय एमएमआरडीए नगरपालिका के साथ चर्चा करेगा। इसके अलावा नगर पालिका और पालिका आयुक्त को प्रदत्त अधिकार घटनात्मक हैं तो एमएमआरडीए आयुक्त का विशेषाधिकार है। वे एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए हैं। इसलिए अदालत ने फैसला सुनाया कि एमएमआरडीए अधिनियम में किए गए संशोधन वैध थे, वहीं नगरपालिकाओं और नगरपालिका आयुक्तों के अधिकारों के लिए राज्य सरकार की ओर से किए गए संशोधनों से समझौता या उल्लंघन नहीं किया गया है।
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एमएमआरडीए को पालिका का दर्जा…
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 15 नवंबर 2002 को एमएमआरडीए अधिनियम में संशोधन किया था। इसी के बाद से एमएमआरडीए आयुक्त को मुंबई के लिए विभिन्न बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं को डिजाइन और कार्यान्वित करने का अधिकार दिया गया था। साथ ही एमएमआरडीए को इस संबंध में मुंबई महानगरपालिका का दर्जा भी दिया गया है।
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