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mumbai chaturmas pravachan : श्रद्धा से करें साधना : चंद्रयश विजय

जिस प्रकार बाल्टी में रहा हुआ एक भी छिद्र पानी को टिकाए रखने की संभावना को समाप्त कर देता है उसी प्रकार भगवान के प्रति अश्रद्धा, जीवन रूप बाल्टी में धर्म साधना रूप पानी को समाप्त कर देती है।

मुंबईAug 24, 2019 / 02:47 pm

Binod Pandey

mumbai chaturmas pravachan : श्रद्धा से करें साधना : चंद्रयश विजय

mumbai chaturmas pravachan : श्रद्धा से करें साधना : चंद्रयश विजय

मुंबई. ग्रांट रोड स्थित भारत नगर जैन संघ की ओर से चल रहे चातुर्मास में आचार्य हेमेंद्र सुरीश्वर के शिष्य मुनि चंद्रयश विजय ने कहा कि जिस प्रकार बाल्टी में रहा हुआ एक भी छिद्र पानी को टिकाए रखने की संभावना को समाप्त कर देता है उसी प्रकार भगवान के प्रति अश्रद्धा, जीवन रूप बाल्टी में धर्म साधना रूप पानी को समाप्त कर देती है। व्यक्ति के कमीज या पतलून में कहीं पर भी छिद्र हो तो चल सकता है किंतु जेब में छिद्र होगा तो नही चलेगा, वैसे ही अध्यात्म के क्षेत्र में किसी भी साधना में कमी हो तो स्वीकार है दान कमज़ोर हो, तपस्या निर्बल हो, धर्म ेिक्रयाएं कम हो चल जाएगा किंतु उपरोक्त सभी साधना के प्रति श्रद्धा तो अखंड और मजबूत ही होनी चाहिए। चंद्रयश विजय ने कहा कि चर्मचक्षु शरीर को संभालती है, प्रज्ञाचक्षु मन को बचाती है किंतु श्रद्धाचक्षु आत्मा को दुर्गतियों के दुखों से बचाती है। प्रज्ञा चक्षु व्यक्ति को सुखी बनाती है जबकि श्रद्धाचक्षु मनुष्य को धर्मी बनाती है। इस अवसर पर मुनि हृदययश विजय, साध्वी रशमी रेखा, साध्वी विराग यशा, माणकचंद कोठारी, रामा भंसाली, राणमल जैन, सोमतमल जैन, हस्तीमल सांचोर, भवरलाल वानीगोता, दिनेश भंसाली, कांतिलाल, मांगीलाल गांधीमुथा, दानमल जैन, भरत पारेख, रमेश जैन आदि बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं मौजूद रहे।

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