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गर्मी की छुट्टियों में बिहार और उत्तरप्रदेश जाने वालों की संख्या लाखों में होती है। अब ये भी मजदूरों के साथ ट्रेन में देखे जाने लगे हैं। इनकी संख्या हजारों में हैं, जो श्रमिक ट्रेनों से रवाना हो रहे हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की माने तो यदि इस मामले की जांच की गई तो मजदूरों को गांव भेजने के नाम पर फोटो खींचवाने वाले नेताओं की पोल खुल सकती है। शिवसेना नेता सुरेश दूबे ने कहा कि उद्धव ठाकरे की सरकार गरीबों की मदद करना चाह रही हैं, जिसके लिए करोड़ों रुपए अदा कर रही है। ऐसे में यदि लोग सक्षम होते हुए भी श्रमिक ट्रेन का इस्तेमाल करेंगे तो यह गैरजिम्मेदाराना है। जो लोग इनकी मदद कर रहे हैं वो भी उतने ही दोषी हैं, जितने दोषी श्रमिकों के नाम पर सफर करनेवाले लोग हैं।