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शिवसेना का बचेगा गढ़ या राकांपा मारेगी बाजी

ठाणे लोकसभा सीट का लेखा-जोखा : 18 साल तक शिवसेना का गढ़ रहा ठाणे, क्षेत्र में बढ़ी चुनावी सरगर्मियां

मुंबईApr 14, 2019 / 06:05 pm

Devkumar Singodiya

ठाणे लोकसभा सीट का लेखा-जोखा

ठाणे लोकसभा सीट का लेखा-जोखा

ठाणे। ठाणे लोकसभा निवार्चन क्षेत्र शिवसेना का गढ़ रहा है। इस सीट पर शिवसेना बीते 18 सालों तक कब्जा जमाए हुए है। हालांकि इस लोकसभा सीट पर वर्ष 2009 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के डॉ. संजीव नाईक ने भारी मतों से जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बाद फिर शिवसेना ने अपने किले पर झंडा गाड़ दिया।
इस सीट पर शिवसेना के प्रबल दावेदार वर्तमान सांसद राजन विचारे है, जबकि राकांपा की तरफ से ठाणे शहर अध्यक्ष आनंद पराजपे को लोकसभा के चुनाव में उतारा है। वर्ष 2014 के चुनाव में इस संसदीय सीट से शिवसेना प्रत्याशी राजन विचारे ने राकांपा प्रत्याशी डॉ. संजीव नाईक को बड़े अंतरों से हराया था। बता दें कि इस सीट पर संजीव नाईक के पिता और जिले के पूर्व पालकमंत्री गणेश नाईक के नाम की चर्चा कई दिनों तक चली थी, जिस पर कुछ दिनों में विराम लग गया था। अब 2019 के लोकसभा चुनाव में यह देखने वाली बात होगी कि शिवसेना अपने इस गढ़ को बचाए रख पाती है या नहीं।

ठाणे लोकसभा सीट का इतिहास
एक समय ठाणे लोकसभा कोलाबा लोकसभा क्षेत्र का भाग था। बाद में स्वतंत्र ठाणे लोकसभा सीट बनी। उस समय यहां दो उम्मीदवार चुने जाते थे। शुरुआत में यहां समाजवादियों का प्रभुत्व था, बाद में कांग्रेस का दबदबा हुआ। इसके बाद लगातार कई वर्षों तक भाजपा तथा शिवसेना का गढ़ बना। 2009 लोकसभा चुनाव में राकांपा ने सीट इस पर कब्जा किया।
1984 में कांग्रेस के शांताराम घोलप, 1989 तथा 1991 में भाजपा के राम कापसे के बाद 1996 से 2004 तक शिवसेना के दिवंगत प्रकाश परांजपे लगातार चार बार विजयी हुए थे। 2008 में पिता प्रकाश परांजपे की जगह बेटा आनंद परांजपे शिवसेना से विजयी हुए थे। फिर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में राकांपा के संजीव नाईक ने शिवसेना के दिग्गज विजय चौगुले को हराया था।

मतदाताओं का गणित
31 जनवरी 2019 को प्रकाशित सूची के अनुसार ठाणे लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2307232 है, इनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1260081 और महिला मतदाताओं की संख्या 1047108 है, जबकि किन्नर मतदाताओं की संख्या 43 है। ठाणे लोकसभा क्षेत्र तीन महानगर पालिकाएं आती हैं। तीनों मनपा क्षेत्रों में मराठी, हिंदी भाषी, गुजराती और मुस्लिम आबादी है।

ठाणे लोकसभा क्षेत्र का विस्तार
ठाणे लोकसभा क्षेत्र का विस्तार नवी मुंबई से लेकर मीरा-भायंदर तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटों में से तीन पर भाजपा, दो पर शिवसेना और एक सीट पर राकांपा का कब्जा है। क्षेत्र में तीन भाजपा विधायकों की मौजदूगी से कुछ हद तक यहां भाजपा की स्थिति ठीक है।
क्षेत्र में तीन महानगर पालिकाओं को अपने में समेटने वाली इस लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद और विधायक दोनों की इज्जत दांव पर है। सेंट्रल, वेस्टर्न, हार्बर तथा ट्रांस हार्बर चारों रेल लाइन से जुड़ी ये चर्चित सीट है। जिस पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।

ठाणे के स्थानीय निकाय का गणित
ठाणे लोकसभा निवार्चन क्षेत्र में तीन महानगर पालिकाएं आती है। इनमें से ठाणे महानगर पालिका पर शिवसेना, नवी मुंबई मनपा पर राकांपा और मीरा-भायंदर मनपा पर भाजपा का कब्जा है। आकड़ों के मुताबिक कुल 131 सीटों वाली ठाणे मनपा में सर्वाधिक शिवसेना के 67 नगरसेवक हैं। इसके साथ ही दुसरे स्थान पर राकांपा के 34, भाजपा के 23, कांग्रेस के तीन, एमआईएम के दो और निर्दलीय दो नगरसेवकों का समावेश है। इनमें से शिवसेना, राकांपा और एमआईएम के 47 नगरसेवकों का क्षेत्र कल्याण लोकसभा क्षेत्र में चला गया है। यह क्षेत्र मराठी और हिंदी भाषियों का क्षेत्र है। नवी मुंबई की मनपा पर 55 सीटों पर कब्जा कर राकांपा ने सत्ता स्थापित किया है। कुल 105 नगरसेवकों के सीटों वाली इस मनपा पर राकांपा के 55, शिवसेना के 16, कांग्रेस के 13, भाजपा के एक और चार निर्दलीय नगरसेवक चुुनकर आए हैं। इस क्षेत्र में हिंदी भाषी, मराठी, मुस्लिम, ईसाई और सिख समुदाय के मतदाता है। इनमें सर्वाधिक मराठी और हिंदी भाषी मतदाताओं की संख्या अधिक है। मीरा-भायंदर मनपा पर भाजपा का कब्जा है। 95 नगरसेवकों के सीट वाली इस मनपा पर भाजपा के 62, शिवसेना के 22 और कांग्रेस के 11 नगरसेवक मनपा के आम चुनाव में चुनकर आए हैं। मीरा-भायंदर में गुजराती, मारवाड़ी और उत्तरभारतीयों का वोट बैंक अधिक है। जबकि तीसरे स्थान पर मराठी मतदाता आते हैं। नयानगर क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है।

क्षेत्र की समस्याएं
इस लोकसभा इलाके में ठाणे और मीरा-भायंदर क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। इसके बाद यातायात जाम, परिवहन और अन्य मूलभूत समस्याओं से यहां के मतदाताओं का रोजाना सामना करना पड़ता है। पेयजल को लेकर सबसे अधिक त्राहि-त्राहि मीरा-भायंदर मनपा क्षेत्र में मची है। यहां लोगों को 35 से 40 घंटों में एक बार पानी मिल रहा है। पानी समस्या विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के लिए सिरदर्द साबित होने वाला है। वहीं दोनों शहरों में फेरीवालों की बड़ी समस्या है, इसे लेकर यहां काफी विवाद भी हो चुका है। जबकि नवी मुंबई शहर की स्थिति इसके विपरित है। यहां पुर्नविकास और पुर्नवसन सबसे सबसे बड़ी समस्या है। पुर्नविकास के कई मामले कई सालों से लंबित हैं, जिस पर किसी तरह के ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सिडको में आने वाले पुराने क्षेत्रों के पुर्नविकास का काम थमा हुआ है।

वर्तमान सांसद का प्रोफाइल
12वीं तक पढ़े राजन विचारे ठाणे मनपा में चार बार नगरसेवक रह चुके हैं। उनका राजनीतिक कैरियर उसके बाद महापौर के रूप में रहा। संसद में इनकी उपस्थिति 78 फीसदी रही। इन्होंने 52 डीबेट में भाग लिया और 490 प्रश्न संसद में पूछे। प्राइवेट बिल लाने में वे फिसड्डी रहे और एक भी बिल वह संसद में लेकर नहीं आए। इनकी लोकसभा में खर्च करने के लिए 25 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। उन्हें जो राशि मिली उसमें से उन्होंने 98.95 फीसदी अपनी लोकसभा के विकास कार्यों में खर्च कर दी। 2009 में राजन विचारे की संपत्ति दो करोड़ थी, जो 2014 में बढ़कर 10 करोड़ रुपए के आस-पास पहुंच चुकी है। 2009 में इनके नाम पर 11 केस थे, जो 2014 में बढ़कर 13 हो गए।

 

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