ब्लैक बोर्ड पर उतारा जा रहा प्रश्न का उत्तर नकल से उजागर हो रही शिक्षा की गुणवत्ता: बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण परीक्षा में नकल कराया जाना गंभीर विषय है। यहां यह बताना लाजमी है कि वर्तमान की शिक्षा की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सरकारी स्कूलों में पांचवीं कक्षा में अध्ययनरत बच्चे ठीक से हिंदी तक नहीं पढ पाते। इसे शिक्षकों की कमजोरी मानें या शिक्षा नीति की खामियां दोनों में बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है। विदित हो कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों को आठवीं तक फेल तो करना ही नहीं हैं। परीक्षा लेकर बच्चों को ग्रेड देना है। इसके बाद भी खपरीकला के बोर्ड परीक्षा में नकल जैसे मामला सामने आना गंभीर विषय है। इस पूरे मामले की पड़ताल करने पर सामने आता है कि सरकारी स्कूल के अधिकतर बच्चे पांचवीं की परीक्षा में कमजोर साबित होंगे और इधर कुछ माह पूर्व हुए शिक्षा गुणवत्ता अभियान में कागजों पर बच्चों की गुणवत्ता को बढ़ा दिया गया है, जबकि इसकी जमीनी हकीकत अलग ही है। जानकारों की मानें तो शिक्षा का काफी दयनीय है। फिलहाल इस तरह हो रहे खुलेआम नकल से शिक्षा की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से उजागर हो रही है।