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बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़, लगा रहे 5वीं से ही उन्हें ऐसी बुरी आदत

प्राथमिक शाला खपरीकला परीक्षा केंद्र का हाल

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ब्लैक बोर्ड पर उतारा जा रहा प्रश्न का उत्तर

लोरमी. पांचवीं बोर्ड की परीक्षा में खुलेआम नकल कराया जा रहा है। प्रश्न का उत्तर ब्लैक बोर्ड में लिखकर बच्चों से उत्तर शीट में उतरवाया जा रहा है। इसका विरोध करने पर एक शिक्षक को भगा दिया जाता है। यह हाल प्राथमिक शाला खपरीकला परीक्षा केन्द्र का है।
जिला प्राथमिक प्रमाण पत्र परीक्षा के लिए उक्त शाला को केंद्र बनाया गया है। इस स्कूल में शासकीय प्राथमिक शाला खपरीकला के 23 बच्चों के अलावा ज्ञान गंगा शिशु मंदिर खपरीकला के 12, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर खपरीकला के 7 बच्चे कुल 42 परीक्षार्थी पांचवीं बोर्ड की परीक्षा दे रहे हंै। परीक्षा केंद्र के लिए झून्नीलाल बंजारे को केंद्राध्यक्ष बनाया गया है। यहां के परीक्षा केंद्र में खुलेआम नकल कराया जा रहा है। बाकायदा प्रश्न का उत्तर ब्लैक बोर्ड में लिखकर उतारवाया जा रहा है। इसी क्रम में बुधवार को पांचवी बोर्ड का हिंदी विषय का पेपर था जो आखिर हो गया। गुरुवार को भी प्रति परीक्षा की भांति खुलेआम नकल करवाया जा रहा था। इस नकल का परीक्षा ड्युटी में तैनात ज्ञान शिशु मंदिर खपरीकला के शिक्षक दिलीप साहू ने विरोध किया तो केंद्राध्यक्ष ने उन्हें भगा दिया। उन्होंने इसकी जानकारी सभी को दी। मौके पर पाया गया कि केंद्र में खुलेआम नकल कराया जा रहा है। पूछताछ में बताया गया कि यहां के शिक्षक धन्नू साहू और स्वीपर दीपक निषाद और सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षिका शेरिना के द्वारा हर पेपर के दिन प्रश्न का उत्तर ब्लैक बोर्ड में लिखा जाता है। उसी उत्तर को बच्चे उत्तर सीट में लिखते है। पूरा मामला सामने आने के बाद बीईओ का कहना है कि इसकी जांच करायी जाएगी और केंद्राध्यक्ष को नोटिस दिया जाएगा। वहीं केंद्राध्यक्ष झून्नीलाल बंजारे के मोबाइल नंबर 8889086282 पर संपर्क किया गया लेकिन उनका नंबर बंद बताता रहा।

ब्लैक बोर्ड पर उतारा जा रहा प्रश्न का उत्तर

नकल से उजागर हो रही शिक्षा की गुणवत्ता: बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण परीक्षा में नकल कराया जाना गंभीर विषय है। यहां यह बताना लाजमी है कि वर्तमान की शिक्षा की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सरकारी स्कूलों में पांचवीं कक्षा में अध्ययनरत बच्चे ठीक से हिंदी तक नहीं पढ पाते। इसे शिक्षकों की कमजोरी मानें या शिक्षा नीति की खामियां दोनों में बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है। विदित हो कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों को आठवीं तक फेल तो करना ही नहीं हैं। परीक्षा लेकर बच्चों को ग्रेड देना है। इसके बाद भी खपरीकला के बोर्ड परीक्षा में नकल जैसे मामला सामने आना गंभीर विषय है। इस पूरे मामले की पड़ताल करने पर सामने आता है कि सरकारी स्कूल के अधिकतर बच्चे पांचवीं की परीक्षा में कमजोर साबित होंगे और इधर कुछ माह पूर्व हुए शिक्षा गुणवत्ता अभियान में कागजों पर बच्चों की गुणवत्ता को बढ़ा दिया गया है, जबकि इसकी जमीनी हकीकत अलग ही है। जानकारों की मानें तो शिक्षा का काफी दयनीय है। फिलहाल इस तरह हो रहे खुलेआम नकल से शिक्षा की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से उजागर हो रही है।