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खराब हैंडपंपों को सुधारने के लिए नहीं हैं पर्याप्त टेक्निशियन

पेयजल व्यवस्था का हाल: विभाग की लापरवाही से लोग हो रहे परेशान

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Not enough technicians to repair bad handpumps

खराब हैंडपंपों को सुधारने के लिए नहीं हैं पर्याप्त टेक्निशियन

मुंगेली. गर्मी शुरू होते ही हैंडपंपों के सूखने की शिकायतें आने लगी हैं। इससे निपटने के लिए पीएचई के पास ट्रेंड मिस्त्रियों की कमी है। विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार हर गांव व हर मोहल्ले में हैंडपंप तो लगा दिये गये हैं, पर उसके सुधार के लिए टेक्निशियन नहीं हैं।
जिले के अंतर्गत तीन ब्लाक के 675 गांव आते हैं। इन गांवों में पीएचई विभाग द्वारा पानी सप्लाई के लिए 6368 हैंडपम्प लगाये गये हैं। इसमें चालू हालत में 6231 हैंडपंप हैं। यानी 97 हैंडपंप सामान्य सुधार प्रक्रिया में बंद हैं। इसी प्रकार जल स्तर गिरने के कारण 40 हैंडपंप बंद पड़े हैं। जिले में स्वीकृत नल-जल प्रदाय के अंतर्गत 117 योजनाएं हैं, जिसमें 91 पूर्ण हो चुकी है। प्रगतिरत नलजल योजना के अंतर्गत 23 योजनाओं पर काम चल रहा है। स्थल नल-जल प्रदाय योजना के तहत पूरे जिले में 39 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
गौरतलब है कि हैंडपम्प सुधार के लिए विभाग के तीन ब्लाक मुंगेली, लोरमी एवं पथरिया में से हरेक पर 9 टेक्निशियन हैं। इन्हीं के भरोसे गर्मी में हैंडपंप सुधारने और पेयजल की समस्या से निपटने की जिम्मेदारी विभाग के पास सिर पर है। यानी पीएचई के एक टेक्निशियन पर 235 हैंडपम्पों को सुधारने की जिम्मेदारी है। जबकि नियम है कि एक टेक्निशियन पर 150 से अधिक हैंडपम्प की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती। जानकारी के अनुसार अधिकांश स्थायी टेक्निशियन उम्रदराज होकर सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं, जो पहले जैसा काम नहीं कर पाते, जिसके कारण इस बार गर्मी में हैंडपम्प सुधार के काम में दिक्कत आएगी और अनेक गांवों में पानी की कमी की समस्या गहरायेगी।
हर साल गरमी के दिनों में भू-जल स्तर में 3 से 4 मीटर तक की गिरावट आती है। ऐसी स्थिति मे भू-जल गिरावट वाले क्षेत्रों में हैंडपंपों से पानी निकलना बंद हो जाता है। जो हैंडपंप बरसात व ठंड में भरपूर पानी देते हैं, उनमें पानी निकलना बंद हो जाता है। ऐसे हैंडपम्पों में अतिरिक्त पाइप लाइन लगाने की जरूरत पड़ती है। विभाग के पास लगाने के लिए पाइप तो हैं, मगर प्र्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं है, जिससे गांवों के सूखे हैंड पंप समय पर सुधर नहीं पाते। इसी प्रकार मार्च में नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगने के पूर्व 180 नलकूपों का खनन बसाहट वाली जगहों पर तथा आंगनबाडी केंद्र के पास खोदे गये हैं।
६२ सोलर पंपों से की जा रही है पानी की आपूर्ति
जिले में इस अभी 62 सोलर पंप के माध्यम से अनेक गांवों में पानी की आपूर्ति हो रही है। पीएचई मुंगेली के ईई एमके मिश्रा ने बताया कि सोलर पंप की कार्यक्षमता बेहतर होती है। ये 300 से 350 फिट तक की गहराई से पानी खींच लेते हैं। उन्होंने बताया कि मुंगेली जिला में अपेक्षाकृत वााटर लेबल बेहतर है। लोरमी में 60 से 70 फिट पर, मुंगेली में 100 से 120 फिट तथा पथरिया में 100 फिट से अधिक पर सामान्य तौर पर पानी निकल जाता है। पथरिया ब्लॉक में पानी की स्थिति काफी खराब है। यहां पर गर्मी का धान लेने की प्रवृत्ति के कारण भी
प्रशिक्षित युवकों से लिया जा रहा है काम
टेक्निशियन की कमी को देखते हुए विभाग द्वारा कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित युवकों को हैंडपम्प टेक्निशियन के काम पर रखा गया है। इन्हें पेयजल मितान का नाम दिया गया है। इसके हैंडपम्प सुधार के काम में लगे टेक्निशियनों के सहायकों की मदद भी विभाग द्वारा ली जा रही है।
वाटर लेबल गिर रहा है। गर्मी के समय हैंडपंप में परेशानी की सूचना मिलते ही तत्काल सुधार के लिए मोबाइल यूनिट भेजी जाती है। हर ब्लाक में एक मोबाइल यूनिट की व्यवस्था है।