लॉकडाउन के दौरान नाले में गिर गई गाय तो तुरंत पहुंचे पुलिसकर्मी, उनके इस काम की हर तरफ हो रही तारीफ
मुजफ्फरनगर के गांव बधाई खुर्द के रहने वाले तीरथ सिंह की बारात अंग्रेजी शासनकाल में यानी आज से करीब 75 वर्ष पहले सहारनपुर के देवबंद कस्बे के पास स्थित गांव कुरलकी आई थी। उस दौरान गांव में बरात तीन दिन तक रुकी थी और तीन दिन तक पूरे गांव में उत्सव जैसा माहौल था। पूरे गांव ने इस बारात का स्वागत किया था और फिर गांव की बेटी शांति काे पूरे गांव में डाेली में बैठाकर विदा किया था। आज शनिवार को शांति देवी और तीरथ सिंह ने बधाई खुर्द में अपनी पांच पीढ़ियों के साथ 75 वीं वर्षगांठ मनाई है।Mother’s Day : थाने पहुंची मां बाेली ‘साहब’ बेटों से बचा लो
लॉक डाउन की वजह से इस मौके पर कोई उत्सव या फिर नाच-गाना तो नहीं हुआ लेकिन 95 वर्षीय तीरथ सिंह और 90 वर्षीय शांति देवी पर हिंदी फिल्म का यह गीत ‘ऐ मेरी जोहरा जबी, तुझे मालूम नहीं तू अभी तक है हंसीन और मैं जवां, पूरी तरह से सटीक बैठता है।लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी और पैसे की कमी के कारण युवक ने उठाया ये खौफनाक कदम
ऐसा हम ही नहीं कह रहे, बल्कि खुद तीरथ सिंह के बेटे धर्मेंद्र भी इसकी वकालत करते दिखाई देते हैं। धर्मेंद्र कहते हैं कि उनके माता-पिता पूरी तरह से स्वस्थ हैं और मदर्स डे पर उनके लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है कि वह अपनी माताजी की 75वी सालगिरह मना रहे हैं। अब बेटे धर्मेंद्र का यह सपाना है कि, वह बड़े धूम-धाम से अपने माता-पिता की शादी की 100 वी सालगिरह मनाएं।धर्मेंद्र बताते हैं कि वह अपने माता-पिता की 75 वीं वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाना चाहते थे इसके लिए पिछले काफी दिनों से तैयारी भी चल रही थी लेकिन कोरोना ( corona ) वायरस ( COVID-19 ) के खतरे काे देखते हुए लॉक डाउन का उन्होंने पूरा पालन किया है। आज भी उनके परिवार में बाबूजी का आदेश चलता है। बाबूजी ने पूरे परिवार को लॉक डाउन का पालन करने के लिए तो कहा ही है साथ ही वह सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी काफी सख्त हैं। ऐसे में परिवार के सदस्यों ने माता-पिता के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया और बेहद सादगी से 75वी सालगिरह मनाई।