राकेश टिकैत ने कहा कि देश में सेल फॉर इंडिया का बोर्ड लग चुका है। एलआईसी और बैंक बिक रहे हैं। अडानी और अंबानी इनके खरीदार हैं। एफसीआई की पूरी जमीन, पूरे गोदाम अडानी को दे दिए गए हैं। देश के बंदरगाह अलग-अलग कंपनियों को बेच दिये गये हैं। प्राइवेट कंपनियों को नदियां बेची जा रही हैं। पूरा भारत बिकाऊ है। यही वर्तमान की भारत सरकार की पॉलिसी है। अब ओएनजीसी, बीपीसीएल इस्पात, शिक्षा, देश का संविधान भी खतरे में है। टिकैत ने कहा कि आज खेती-किसानी भी बिक्री की कगार पर है। जिसके चलते किसान आंदोलन शुरू हुआ है। तीन कानूनों के खिलाफ किसान बीते 9 महीने से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार तैयार नहीं है। आज हालात यह हैं कि 10 साल पुराना ट्रैक्टर नहीं चलेगा।
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..तो क्या कमजोर है योगी सरकार?
राकेश टिकैत ने कहा कि हम जिस जमीन पर आए हैं, यह मुजफ्फरनगर का क्षेत्र है। गन्ने की बेल्ट है। क्या इन लोगों ने यह नहीं कहा था कि जब हमारी सरकार आएगी हम गन्ने का 450 भाव देंगे। अब यह कोई भाव देने को तैयार नहीं है। यहां पर सरकारें पहले भी आईं जिन्होंने 80 रुपये रेट बढ़ाया। दूसरे वाली सरकार ने 50 रुपये रेट बढ़ाया तो क्या योगी सरकार उन दोनों सरकारों से कमजोर है?
राकेश टिकैत ने कहा कि यहां पुलिस फोर्स के लोग भी हैं। उनकी सैलरी 25 और 30 हज़ार है और ड्यूटी ये 24 घंटे देंगे। प्राइमरी टीचर से भी इनकी सैलरी आधी है। आवाज नहीं उठा सकते, उनकी आवाज को दबाया जाता है। उनका क्वार्टर है जो 500 फीट में है। मेरी मांग है कि उनके क्वार्टर बड़े बने और उनकी सैलरी भी टीचर के बराबर हो। वे 24 घंटे ड्यूटी देते हैं। टिकैत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहाकि एमपी-एमएलए को दो-दो तीन-तीन पेंशन दोगे, लेकिन सरकारी कर्मचारियों की पेंशन खत्म कर दी।
अनुमान के अनुसार, मुजफ्फरनगर में हुई किसान मजदूर महापंचायत में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी किसानों की भारी भीड़ पहुंची। शनिवार की सुबह से ही हरियाणा और पंजाब से किसानों के आने का सिलसिला शुरू हुआ जो रविवार की दोपहर तक जारी रहा। बाहर से आये किसानों के रहने और खाने का पूरा इंतजाम किया गया था।