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UP Assembly Election 2022: तो क्या इस बार भी बाहुबली जेल से ही लहराएंगे चुनाव में जीत का परचम सोनिया गांधी ने नियुक्त किया था सलाहकार बता दें कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की मदद के लिए गठित सलाहकार परिषद में चार सदस्य नियुक्त किए थे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रियंका की सलाहकार परिषद में राकेश सचान, आचार्य प्रमोद कृष्णन, हरेंद्र मलिक और बेगम नूर बानो को शामिल किया। लेकिन, विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में हरेंद्र मलिक का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए किसी बड़ झटके से कम नहीं है। उनके अलावा प्रदेश के कई बड़े नेता अब कांग्रेस छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
44 साल लंबा राजनीतिक सफर यहां बता दें कि हरेंद्र मलिक वेस्ट यूपी के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। पिछले 44 साल से वह राजनीति में हैं। हरेंद्र मलिक ने 1976-77 में डीएवी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। 1978 में मलिक संजय गांधी के साथ तिहाड़ जेल में रहे और 1978 में ही इंदिरा गांधी के आंदोलन के कारण 13 दिन मुजफ्फरनगर जेल में भी रहे। 1982 में उन्होंने पहले बार बीडीसी का चुनाव जीता, लेकिन कम उम्र के चलते ब्लॉक प्रमुख नहीं बन सके। इसके बाद 1984 में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में बीकेडी ज्वाइन की और 1985 में खतौली से धमाकेदार जीत दर्ज की। इसके बाद हरेन्द्र मलिक 1989 व 1993 में जनता दल से चुनाव जीते, लेकिन 1996 में भारतीय किसान पार्टी प्रत्याशी से बघरा से चुनाव हार गए। उन्होंने 1998 में मुजफ्फरनगर से सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा। इसके बाद वे इनेलो से राज्यसभा सांसद भी रहे। इसके बाद हरेन्द्र मलिक कांग्रेस में आए और 2009 में भी उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा था। वहीं, उनके बेटे पंकज मलिक भी एक बार बघरा से तो एक बार शामली से विधायक रहे हैं।