दरअसल, मामला मुजफ्फरनगर के शाहपुर थाना क्षेत्र स्थित एक गांव का है। पीड़िता के मामा ने 18 फरवरी 2016 को अपनी नाबालिग भांजी के साथ महीनों तक जबरदस्ती बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि आरोपी बेटी को जबरन अपने पास सुलाता था और उसके साथ दुष्कर्म करता था। इस दौरान पीड़िता गर्भवती भी हो गयी थी। 16 फरवरी 2016 को पीड़िता ने अपनी मां को पिता की हरकत के बारे में बताया, जिसके बाद पीड़िता की मां ने अपने भाई को बताया। इसके दो दिन बाद पीड़िता के मामा ने पुलिस में केस दर्ज कराया। केस दर्ज करने के बाद पुलिस जब डीएनए कराया तो रेपिस्ट पिता से मैच हो गया। एसएसपी के आदेश पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बता दें कि आरोपी एक वेलफेयर सोसाइटी अध्यक्ष है।
इस मामले की सुनवाई पोक्सो न्यायालय में चल रही थी। अभियोजन पक्ष की तरफ से विशेष लोक अभियोजक दिनेश कुमार शर्मा ने पीड़िता, उसकी मां सहित कुल आठ गवाह पेश किए थे। शनिवार को इस मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार तिवारी ने तमाम सबूतों के आधार पर बलात्कारी पिता को 20 वर्ष का कठोर कारावास और 57 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।