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नागौर

आर्थिक तंगी के बाद गृह क्लेश बन रहा आत्महत्या का बड़ा कारण

आर्थिक तंगी के बाद गृह क्लेश आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। पति-पत्नी के बीच विवाद हो या फिर सास-बहू अथवा अन्य कोई पारिवारिक सदस्य।

नागौरApr 29, 2024 / 09:17 pm

Sandeep Pandey

आत्महत्या करने वाले पुरुष ज्यादा

जहरीला पदार्थ खाने से कन्हैयालाल (38) ने आत्महत्या कर ली

केस-1

चितावा थाना इलाके में जहरीला पदार्थ खाने से कन्हैयालाल (38) ने आत्महत्या कर ली। इसका कारण घरेलू कलह बताई गई है। पत्नी से तनातनी चल रही थी।

केस-2

मकराना में पिछले दिनों एक विवाहिता ने फंदा लगाकर जान दे दी। पति के शक करने की बात सामने आई, सुसाइड से पहले हुई थी कहासुनी।
केस-3

पत्नी से विवाद के बाद टांके में कूदकर युवक ने आत्महत्या की। नावां इलाके में हुई इस सुसाइड से पहले विवाद के बाद पत्नी रहने लगी थी अलग।मण्डे मेगा स्टोरी

नागौर. आर्थिक तंगी के बाद गृह क्लेश आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। पति-पत्नी के बीच विवाद हो या फिर सास-बहू अथवा अन्य कोई पारिवारिक सदस्य। छोटी-छोटी बात पर लोग आत्महत्या करने लगे हैं। नागौर (डीडवाना-कुचामन) में करीब बारह साल में आत्महत्या का आंकड़ा छह हजार पार हो गया है।
सूत्रों के अनुसार जरा-जरा सी बात पर बढ़ता विवाद आत्महत्या के लिए उकसा रहा है। कहीं पत्नी तो कहीं पति घर में जरा से कलह पर जान दे रहा है। बताया जाता है कि करीब डेढ़ साल में गृह क्लेश के कारण करीब चालीस जनों ने आत्महत्या कर ली। इनमें पुरुष दो दर्जन से अधिक हैं। पिछले सप्ताह रोल में युवक मुकेश ने खेत में फंदा लगाकर जान दे दी। हालांकि उसके परिजन आत्महत्या की आशंका जता रहे हैं पर बताया जाता है कि पारिवारिक कारण से भी पुलिस आत्महत्या करने की बात मान रही है।
इस संबंध में पुलिस अफसरों ने भी स्वीकारा कि आत्महत्या के कारणों में घर-गृहस्थी की बातें सामने आ रही है। कुछ समय पहले नागौर में एक युवती ने इसलिए आत्महत्या कर ली थी कि उसके परिजन उसे मोबाइल पर बात करने से टोकते रहते थे। एक युवक ने आत्महत्या इसलिए कर ली कि उसे अपनी पत्नी के दूसरे व्यक्ति से संबंध होने का शक था। इस बारे में जब उसने रोका-टोका तो कहासुनी के बाद युवक ने मौत को गले लगा लिया। मायके जाने से मना करने पर कभी विवाहिता फंदे पर झूली तो कभी पीहर से ससुराल नहीं आने पर पति ने ट्रेन के आगे छलांग लगा दी। इस तरह की आत्महत्या बढ़ रही है, ससुराल भेजने का परिजनों का दबाव नहीं सह पाने पर विवाहिता ने भी आत्महत्या की है।
एक नजर

आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2018 में 527, वर्ष 2019 में 573, वर्ष 2020 में 587, वर्ष 2021 में 593 तो वर्ष 2022 में 685 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2023 में 711 मामले दर्ज हुए। इस साल में अब तक 89 आत्महत्या के प्रकरण सामने आ चुके हैं। इनमें 27 गृह क्लेश की वजह से होना बताए जा रहे हैं। वर्ष 2018 में 527 में से 445 पुरुष तो 85 युवती/महिला, वर्ष 2019 में 463 पुरुष तो 110 युवती/महिला, वर्ष 2020 में 472 पुरुष तो 115 युवती/महिला और वर्ष 2021 में 488 पुरुष तो 105 युवती/महिला, वर्ष 2022 में 550 पुरुष तो 135 महिला/युवती ने अपनी ईहलीला समाप्त की थी।
ऐसे बढ़ी आत्महत्या

सूत्र बताते हैं कि जहां वर्ष 2012 में आत्महत्या के जहां 438 मामले थे वो वर्ष 2022 में बढ़कर 685 हो गए। यही नहीं वर्ष 2021 में 589 लोगों ने सुसाइड की। इस तरह वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में लगभग सौ आत्महत्या ज्यादा हुईं। पिछले पांच साल से मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2013 में 430, वर्ष 2014 में 411, वर्ष 2015 में 421 वर्ष 2016 में 443, वर्ष 2017 में 423 मामले आत्महत्या के हुए। इसके बाद वर्ष 2018 में एकदम से बढ़कर इनकी संख्या 527 हो गई यानी करीब एक सौ चार मामले बढ़े। इसके बाद वर्ष 2019 में 568, वर्ष 2020 में 577, वर्ष 2021 में 589 और वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 685 पहुंच गया। वर्ष 2023 में 711 मामले सामने आए।
बहुत कुछ छिपाते भी हैं…

यह भी सामने आया कि आत्महत्या के मामले में अधिकांश परिजन काफी कुछ पुलिस से छिपाते भी हैं। मसलन शनिवार को एक युवक मेघवालों की ढाणी में टांके में कूदकर मर गया। अब परिजन कह रहे हैं कि वो पानी भरने गया था कि पैर स्लिप होने की वजह से उसमें गिर गया, जबकि शुरुआत में पुलिस ने आत्महत्या के संकेत दिए थे। इसी तरह कई मामलों में परिजन की ओर से कहा जाता है कि मानसिक रोगी/बीमार था। ऐसे मामलों में भी आत्महत्या के स्पष्ट कारण का खुलासा नहीं हो पाता।
आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले भी खूब

सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ समय से आत्महत्या के उकसाने के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। कभी ससुराल पक्ष तो कभी धमकाने या फिर उधार वसूली करने समेत अन्य को भी नामजद कराया जा रहा है। ऐसे कुछ मामलों में कार्रवाई कड़ी हो पाती है।

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