नगर परिषद को भूखंड की राशि दुबारा वसूल करने का अधिकार नहीं
जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग का निर्णय : दो भूमि खरीददारों को दी राहत, परिषद पर हर्जाना भी लगाया
Court sentenced three accused of robbery to five years
नागौर. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने नगर परिषद नागौर द्वारा दस वर्ष पूर्व विक्रय किए गए भूखंडों के मामले में ऑडिट के आधार पर बकाया राशि की वसूली पर रोक लगाते हुए दो उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की है।
मामले के अनुसार आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्याम लाटा व सदस्य बलवीर खुडख़ुडिय़ा एवं चन्द्रकला व्यास के समक्ष रागिनी बाई किन्नर व अब्दुल समद ने अलग-अलग परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उन्हें नगर परिषद द्वारा वर्ष 2011 में भूखंड विक्रय कर सम्पूर्ण कीमत वसूल कर लीज डीड उनके पक्ष में निष्पादित कर दी गई थी, लेकिन अब भूखंडों के पेटे बकाया राशि बतलाकर वसूली के लिए उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। नगरपरिषद की ओर से प्रस्तुत जबाब में ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर उक्त राशि वसूली योग्य होना बताया गया।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि मात्र ऑडिटर द्वारा अपनी रिपोर्ट में राशि बकाया बतलाने के आधार पर वसूली का अधिकार प्राप्त नहीं हो सकता है, वरन बकाया राशि का उचित आधार व विधिसम्मत कारण होना आवश्यक है।
आयोग ने इन मामलों में वसूली का कोई जायज आधार साबित नहीं होने से परिषद द्वारा रागिनी बाई से 9 लाख 42 हजार रुपए व अब्दुल समद से 55 हजार रुपए की वसूली की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए प्रत्येक परिवादी को मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय के निमित नगर परिषद द्वारा दस हजार रुपए हर्जाना अदा करने का भी आदेश दिया है।
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