पत्रिका ने बार-बार उठाया मुद्दा
जिले में खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच में देरी व खाद्य प्रयोगशाला की आवश्यकता को लेकर राजस्थान पत्रिका ने समय-समय पर समाचार प्रकाशित कर सरकार व अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया। पत्रिका ने 14 नवम्बर 2021 को समाचार प्रकाशित कर बताया कि मुख्यमंत्री ने दो साल पहले बजट में जिला मुख्यालय पर फूड लैब खोलने की घोषणा की तथा जोश-जोश में प्रदेश स्तर पर तीन कमेटियां भी गठित की गई और प्रयोगशाला के सभी जिलों से प्रस्ताव भी मांगे, लेकिन इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। खबर प्रकाशन के बाद विभाग ने सीएमएचओ कार्यालय में जमीन चिह्नित की तथा दुबारा रिपोर्ट भेजी। जिसके बाद सरकार ने डेढ़ साल पहले बजट जारी किया और भवन बनकर तैयार हो गए।
मैन पॉवर बढ़ाने की आवश्यकता
खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए सरकार पिछले दो-तीन साल से काफी सख्ती दिखा रही है। पहले खाद्य पदार्थों की जांच के लिए टीम में चिकित्सा विभाग के साथ अन्य विभागों के अधिकारियों को भी लगाया गया। अब नागौर जिले में चार खाद्य सुरक्षा अधिकारी लगाए गए हैं। चार अधिकारी होने के बाद उन्हें प्रति माह 10-10 नमूने लेने का लक्ष्य दिया गया है, जिसके हिसाब से नमूनों की संख्या भी बढ़ेगी। ऐसे में अधिक नमूनों की जांच दूसरी प्रयोगशाला से होकर आने में समय लगेगा। मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई को प्रभावी बनाने के लिए प्रयोगशाला को चालू करना आवश्यक है। प्रयोगशाला में उपकरण उपलब्ध कराने के साथ लैब का स्टाफ भी लगाना शेष है।
भवन तैयार हो गया, उपकरण नहीं आए
नागौर सीएमएचओ कार्यालय परिसर में खाद्य प्रयोगशाला का भवन निर्माण कार्य पूरा हो गया है। खाद्य प्रयोगशाला को शुरू करने के लिए उपकरण एवं स्टाफ की आवश्यकता है, जो अभी तक नहीं मिले हैं।
– डॉ. महेश वर्मा, सीएमएचओ, नागौर