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नागौर

सरकारी हो या निजी अस्पताल, बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण में सब लापरवाह

बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर गंभीर नहीं – प्रदूषण नियंत्रण मंडल का कार्यालय नागौर आया तो खुली पोल- मंडल के क्षेत्रीय प्रबंधक ने जिले के 63 अस्पतालों की सूची सीएमएचओ को थमाई

नागौरJan 22, 2022 / 02:22 pm

shyam choudhary

Government or private hospital, all careless in the disposal of bio medical waste

Government or private hospital, all careless in the disposal of bio medical waste

नागौर. जिले में सरकारी एवं निजी अस्पतालों से निकलने वाले ठोस एवं तरल बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है। एक प्रकार से बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण भगवान भरोसे है, जिसके कारण ये वेस्ट शहर के कचरे में मिलकर संक्रमण का कारक बन रहा है। इसका खुलासा राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा करीब दो माह पूर्व किए गए निरीक्षण में हुआ है। मंडल ने जिले के 63 अस्पतालों एवं क्लीनिक की सूची तैयार की है, जिनके पास बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर कॉमन बायो मेडिकल ट्रीटमेंट एंड डिस्पोजल फेसिलिटी (सीबीटीडीएफ) प्लांट से वैध एग्रीमेंट तक नहीं है, बायो मेडिकल वेस्ट का उठाव और निस्तारण तो दूर की बात है। यानी अस्पताल संचालक इतने लापरवाह हैं कि वे बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को बहुत हल्के में ले रहे हैं।
20 सरकारी एवं 43 प्राइवेट अस्पतालों के पास नहीं वैध एग्रीमेंट
जिले के अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करने के लिए दो साल पहले तक जिले में कोई प्लांट नहीं था। इसके चलते बायो वेस्ट बीकानेर व अजमेर सहित अन्य जिलों में भेजा जाता था, लेकिन करीब चार साल पहले जिला मुख्यालय पर नगर परिषद ने करोड़ों रुपए की लागत से बालवा रोड पर बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करने के लिए प्लांट स्थापित करवाया। यह प्लांट पिछले करीब दो साल से पीपीपी मोड पर संचालित किया जा रहा है, इसके बावजूद अस्पताल, लैब एवं क्लीनिक संचालक अपना कचरा प्लांट तक भेजने तक की जहमत नहीं उठा रहे हैं।
सीवरेज एवं नालियों में बहा रहे कचरा
जिला मुख्यालय सहित जिले के कई अस्पताल, लैब एवं क्लीनिक संचालक खुले में बायो मेडिकल वेस्ट डाल रहे हैं तो कई सीवरेज व नालियों तक में बहा रहे हैं, जो संक्रमण का कारण बन रहा है। सूत्रों के अनुसार निजी अस्पतालों एवं लैब्स की स्थिति ज्यादा गंभीर है। कुछ रजिस्टे्रशन करवाकर इतिश्री कर रहे हैं तो कुछ ने रजिस्ट्रेशन करवाना ही उचित नहीं समझा।
मानव के साथ पशु-पक्षियों के लिए भी खतरनाक
विशेषज्ञों का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट इंसानों के साथ पशु-पक्षियों के लिए भी खतरनाक है। खुले में फेंका जाने वाले बायो मेडिकल वेस्ट में लावारिस घूमने वाले पशु मुंह मारते रहते हैं, जिससे उनमें संक्रमण का खतरा उत्पन्न होता है। इसी प्रकार पक्षियों को भी इस वेस्ट से अपने घोंसले के लिए इस्तेमाल करे हुए देखा गया है। यह कचरा हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक है।
50 प्रतिशतभी नहीं आ रहा बायो मेडिकल वेस्ट
नागौर में बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट के प्रोजेक्ट हैड हितेश राजपुरोहित ने बताया कि जिले में निजी एवं सरकारी क्षेत्र के कुल 271 अस्पताल, लैब, क्लीनिक का बायो मेडिकल वेस्ट उनके प्लांट तक आ रहा है। इसमें 166 सरकारी क्षेत्र के एवं 105 प्राइवेट क्षेत्र हैं। राजपुरोहित का कहना है कि जिले के 80 प्रतिशत अस्पताल, लैब एवं क्लीनिक आज भी अपने बायो मेडिकल के निस्तारण को लेकर गंभीर नहीं है। नागज्ञैर का प्लांट काफी बड़ा एवं आधुनिक श्रेणी का है, लेकिन यहां क्षमता का 50 फीसदी बायो वेस्ट भी नहीं आ रहा है। कुछ अस्पताल संचालक तो इतने बेखौफ हैं कि उन्हें कार्रवाई का जरा भी डर नहीं है।
अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी किए हैं
जिले के 63 निजी एवं सरकारी अस्पतालों के पास सीबीटीडीएफ का वैध एग्रीमेंट नहीं है, इसको लेकर अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी किए हैं। साथ ही सीएमएचओ को भी अस्पतालों की सूची उपलब्ध करवाई है, ताकि बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण हो सके और वह सोलिड वेस्ट में नहीं मिले।
– अरविन्द कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, नागौर
नोटिस देकर चेताया है
प्रदूषण नियंत्रण मंडल से मिली सूची के अनुसार सम्बन्धित निजी अस्पताल संचालकों को नोटिस देकर वैध एग्रीमेंट के अभाव में होने वाली कार्रवाई से आगाह करते हुए चेताया है। साथ ही मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी को भी सूचित किया है कि बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण कार्य नियमानुसार नहीं पाए जाने पर उनके द्वारा जारी ऑथोराइजेशन निरस्त कर अवगत कराएं, ताकि सम्बन्धित के खिलाफ आगमी कार्रवाई की जा सके। जहां तक सरकारी अस्पतालों की बात है तो सभी प्रभारी अधिकारियों को इसके लिए पाबंद कर दिया है।
– डॉ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, नागौर

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