Nagaur patrika news-राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम भेजा चेतावनी पत्र
नागौर•Jan 22, 2021 / 09:33 pm•
Sharad Shukla
If the farmers want the interest, the government should cancel the agricultural bill
नागौर. राजस्थान शिक्षक शेखावत की ओर से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम एसीएम रामजस बिश्नोई को दिया गया। प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में केन्द्र की ओर से लाए गए कृषि बिल को निरस्त करने पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने व मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में विद्यालय समय सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक रखने की मांग की गई। प्रधानमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि तीनों कृषि कानून किसान ही नहीं बल्कि आमजन के हितों के भी खिलाफ है। यही कारण है कि किसान आंदोलन को आम जनता का निरंतर समर्थन बढ़ता जा रहा है। इसलिए इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारण्टी देना सरकार तथा आमजन के हित में होगा। नई पेंशन व्यवस्था कर्मचारियों एवं श्रमिक हितों के खिलाफ है। यह पूरी तरह से पूंजीपतियों के पक्ष में है। इसी तरह मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया कि वर्तमान सरकार ने सत्तारूढ़ होने के बाद बढाई गई समय अवधि को कम कर बेहतर काम किया था। अब पुन: विद्यालय खुलने का समय सुबह साढ़े नौ बजे से कर दिया जाना असंगत है। इस संबंध में यथोचित दिशा-निर्देश जारी कर समय सुबह दस बजे से शाम को चार बजे तक किया जाना चाहिए, अन्यथा आंदोलन का रास्ते पर चलने के लिए शिक्षक समुदाय विवश हो जाएगा।
भगवान श्रीराम ने सभी भेदभाव से सभी को गले लगाया
नागौर. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र संपर्क अभियान के अंतर्गत गांव सिंगड़ में हुई सभा में राम मंदिर सभा हुई। इसमें अभियान के संरक्षक महंत जानकीदास महाराज ने कहा कि श्रीराम धर्म के मूर्तिमंत स्वरूप है मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भारत की आत्मा है श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य श्रीराम मंदिर भारतीय मन की शाश्वत प्रेरणा है। इसके लिए श्री राम भक्तों ने 492 वर्षों तक अनवरत संघर्ष किया है अतीत के 76 संघर्षों में 4 लाख से अधिक राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया है। लगभग 36 वर्षों के श्रृंखलाबद्ध अभियानों के फलस्वरूप संपूर्ण हिंदू समाज ने जाति, वर्ग, भाषा, पंथ, संप्रदाय, क्षेत्रवाद, आदि भेदों से ऊपर उठकर एकात्मता भाव से श्री राम मंदिर के लिए अपना त्याग और बलिदान किया है । श्रीराम 14 वर्षों तक नंगे पैर वन वन घूमे तथा समाज के हर वर्ग तक पहुंचे उन्होंने वंचित उपेक्षित समझे जाने वाले लोगों को आत्मीयता से गले लगाया अपनत्व की अनुभूति कराई सभी से मित्रता की जटायु को भी पिता जैसा सम्मान दिया। इसमें मनोहर दास, मोहित बागडिय़ा, भोमसिंह गोगानाडा, संत राजू सिंह, लुंबाराम ताडा, आशु सिंह, बिजाराम मेघवाल, ओमप्रकाश जोशी, नेमाराम डांगी, प्रहलाद पुरी, मोतीराम प्रजापत, मूलाराम जोशी, भागीरथ प्रजापत, प्रवीण भांबू, मेघाराम जांगू, सेवा भारती के तहसील अध्यक्ष रवि बोथरा, करणसिंह चौहान, रमेश सियाग, ओंकार सिंह ,छोटूदास, कानाराम मेघवाल आदि थे।