गौरतलब है कि चुनाव के दौरान निष्पक्षता कायम रखने के लिए चुनाव आयोग हर उम्मीदवार के लिए खर्च की अधिकतम सीमा तय करता है। इस बार लोकसभा चुनाव में खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख रुपए तय की गई थी। इससे चुनाव में धन-बल के इस्तेमाल पर काबू पाया जाता है, इस खर्च की गणना नामांकन के साथ शुरू हो जाती है। चुनाव आयोग के अनुसार हर प्रत्याशी को नामांकन करने के बाद से ही एक डायरी में रोज के खर्च का हिसाब रखना पड़ता है और चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पूरा ब्योरा आयोग को देना होता है। इसमें चाय-पानी के खर्च से लेकर बैठकों, जुलूस, रैलियों, विज्ञापनों, पोस्टर-बैनर और वाहनों का खर्च भी शामिल होता है। आजाद भारत में जब 1951-52 में पहला आम चुनाव हुआ, तब उम्मीदवारों के खर्च की सीमा 25 हजार रुपए थी, लेकिन तब से अब तक ये सीमा कई गुना बढ़ चुकी है। चुनाव आयोग समय-समय पर उम्मीदवारों की खर्च की सीमा बढ़ाता रहता है।
16 अप्रेल तक नागौर लोकसभा के प्रत्याशियों का खर्च
प्रत्याशी – खर्च
ज्योति मिर्धा – 24,11,052
हनुमान बेनीवाल – 21,75,991
अशोक चौधरी – 4,94,084
राजकुमार जाट – 4,60,090
गजेन्द्रसिंह राठौड़ – 3,63,373
हनुमानसिंह कालवी – 1,76,100
प्रेमराज खारडिय़ा – 66,255
अमीन खां – 35,025
हरिराम – 25,125
जानिए, चुनाव आयोग ने कब-कब बढ़ाई खर्च की सीमा
चुनाव वर्ष – खर्च सीमा
1952 – 25 हजार
1957 – 25 हजार
1962 – 25 हजार
1967 – 25 हजार
1971 – 35 हजार
1977 – 35 हजार
1980 – एक लाख
1984 – डेढ़ लाख
1989 – डेढ़ लाख
1991 – डेढ़ लाख
1996 – 4.5 लाख
1998 – 15 लाख
1999 – 15 लाख
2004 – 25 लाख
2009 – 25 लाख
2014 – 70 लाख
2019 – 70 लाख
2024 – 95 लाख