संस्था प्रधान बोले आदेश पहले से है, लेकिन माताएं टेस्ट करने आती नहीं
मिड-डे-मील के भोजन की गुणवत्ता को लेकर जारी किए गए आदेश को लेकर कुछ संस्था प्रधानों ने बताया कि ऐसे आदेश पहले भी जारी हुए थे। करीब एक साल पहले दोपहर के भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए विद्यार्थियों के अभिभावकों एवं विद्यालय विकास समिति के सदस्यों से निरीक्षण कराने को लेकर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए थे, लेकिन बच्चों के अभिभावक इसमें रुचि नहीं दिखाते। गौर करने वाली बात तो यह है कि मिड-डे-मील प्रभारी को इसके लिए एक रजिस्टर भी संधारित करना जरूरी है, जिसमें किन-किन महिलाओं से खाना चैक व टेस्ट करवाया, उनके नाम व हस्ताक्षर करवाने होते हैं, लेकिन महिलाएं आती नहीं, इसलिए खानापूर्ति ही की जाती है। अब प्रदेश में सरकार बदलने के बाद एक बार फिर यह आदेश जारी किए गए हैं, जिसमें देखना यह है कि इन आदेशों की पालना कितनी होती है।
दूध भी नहीं पीते बच्चे
सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के बच्चों को दूध पिलाने के लिए सप्लाई किए गए पाउडर के डिब्बे अब भी सरकारी स्कूलों में पड़े हैं। प्रदेश की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने जाते-जाते स्कूलों में दूध पाउडर के पैकेट मई 2024 तक के सप्लाई करवा दिए। पाउडर के पैकेट पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फोटो भी लगे हैं, इसलिए आचार संहिता के दौरान पैकेट्स को छुपाया गया, ताकि आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हो। अब जरूरत के हिसाब से निकाला जाता है, लेकिन मिड-डे-मील प्रभारियों ने बताया कि अधिकतर बच्चे पाउडर का दूध पीते ही नहीं है, इसलिए उनके लिए सप्लाई किए हुए पैकेट्स का स्टॉक मेंटेन करना मुश्किल हो रहा है।