script‘नागौरी नारी’ पड़ रही हर किसी पर ‘भारी’, जानिए कैसे | 'Nagauri Nari' is falling 'heavy' on everyone | Patrika News
नागौर

‘नागौरी नारी’ पड़ रही हर किसी पर ‘भारी’, जानिए कैसे

National Girl Child Day- नागौर की बालिकाएं हर क्षेत्र में गाड़ रही सफलता के झंडे- स्कूल हो या कॉलेज, बेटियों का प्रदर्शन हर जगह श्रेष्ठ

नागौरJan 24, 2022 / 10:57 am

shyam choudhary

National Girl Child Day

National Girl Child Day

नागौर. नागौरी ‘नर’ के बाद अब ‘नारी’ भी हर क्षेत्र में भारी पड़ रही है। नागौर की बालिकाएं हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रही हैं। बालिकाओं का भविष्य और अधिक सुखद होगा, इसके संकेत विद्यालयों में पढ़ रही बालिकाएं दे रही हैं, जिनकी संख्या बालकों से अधिक है। स्कूल हो या कॉलेज, लड़कियों का परिणाम लडक़ों से बेहतर आ रहा है, इससे स्पष्ट है कि लडक़े भले अपने रास्ते से भटक रहे हैं, लेकिन लड़कियों को केवल ‘मछली की आंख’ ही नजर आ रही है। नौकरियों में भी लड़कियां, लडक़ों को टक्कर देने लगी हैं और ऐसे-ऐसे पदों पर आसिन हो रही हैं, जो अब तक मर्दों की बपौती माने जाते थे।
समाज में आए इस बदलाव के लिए कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन बालिकाएं इस बात को सही साबित कर रही हैं कि यदि उन्हें लडक़ों जितनी सुविधाएं एवं आजादी मिलेगी तो वे लडक़ों से बेहतर परिणाम देंगी। पिछले कुछ सालों के बोर्ड परीक्षा परिणाम पर नजर डालें तो देखेंगे कि लडक़ों से लड़कियों का उत्तीर्ण होने का प्रतिशत ज्यादा है। गत वर्ष 12वीं विज्ञान वर्ग के बोर्ड परिणाम में छात्रों का उत्तीर्ण होने प्रतिशत जहां 99.50 प्रतिशत था, वहां छात्राओं का 99.77 रहा। इसी प्रकार कला संकाय में छात्रों का 98.91 प्रतिशत तथा छात्राओं का 99.60 प्रतिशत तथा दसवीं बोर्ड परीक्षा में भी छात्रों का उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 99.28 था, वहीं छात्राओं का 99.66 प्रतिशत रहा। यही स्थिति अन्य कक्षाओं एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में देखने को मिल रही है।
सरकारी स्कूलों में हर कक्षा में बालिकाएं ज्यादा
आज से 15-20 वर्ष पहले तक जहां सरकारी हो या निजी, हर जगह, हर कक्षा में बालिकाओं की संख्या 10 से 20 प्रतिशत होती थी, लेकिन आज तस्वीर बदल चुकी है। आज हर कक्षा में बालिकाओं की संख्या बालकों से ज्यादा है। जिले की 3070 सरकारी स्कूलों में वर्तमान में 4 लाख, 15 हजार 589 विद्यार्थियों का नामांकन हैं, इसमें छात्रों की संख्या एक लाख 99 हजार 188 हैं, जबकि छात्राओं की संख्या 2 लाख 16 हजार 401 है। यानी छात्रों की तुलना में छात्राओं की संख्या 17,213 ज्यादा है।
पहली से 12वीं तक ज्यादा
सरकारी स्कूलों में बालिकाओं के नामांकन का सुखद पहलू यह है कि पहली से लेकर 12वीं तक हर कक्षा में बालिकाओं की संख्या बालकों से ज्यादा है। ये इस प्रकार है –
– कक्षा एक से 5 तक : छात्र – 87,631, छात्राएं – 94,805
– कक्षा 6 से 8 तक : छात्र – 49,681, छात्राएं – 56,030
– कक्षा 9 व 10 : छात्र – 31,030, छात्राएं – 33,657
– कक्षा 11 व 12 : छात्र – 28,869, छात्राएं – 29,125
– कुल छात्र – 1,99,188
– कुल छात्राएं – 2,16,401

मतदाता लिंगानुपात भी बढ़ा
नागौर जिले में गत 5 जनवरी को किए गए मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन में एक अच्छी तस्वीर देखने को यह मिली कि मतदाता लिंगानुपात बढ़ गया। मतदाता सूचियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम के बाद जिले का मतदाता लिंगानुपात अब 923 से बढकऱ 929 हो गया है। अब जिले में कुल मतदाता 25 लाख 66 हजार 665 हो चुके हैं, जिनमें पुरूष मतदाता 13 लाख 3 हजार 418 तथा महिला मतदाता 12 लाख 36 हजार 247 हैं।
खेलों में भी परचम लहरा रही बेटियां
नागौर की बेटियां खेलों में भी अपना परचम लहरा रही हैं। कबड्डी एवं जिम्नास्टिक में नागौर की बालिकाएं हर जगह अपने आप को श्रेष्ठ साबित कर रही हैं। इंटरनेशनल खिलाड़ी मनीषा यादव के बाद आर्यना चौधरी, कल्पना सेन, पूजा सियाग, सोनू निवाद व आकांक्षा पिछले तीन-चार साल से जिले का नाम रोशन कर रही हैं। गत दिनों अजमेर में आयोजित अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में नागौर मिर्धा कॉलेज की बालिका टीम ने भीलवाड़ा को 52-7 के बड़े अंतर से हराकर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इससे पहले गत वर्ष मार्च में जालोर के सांचौर में आयोजित हुई राज्य स्तरीय जूनियर कबड्डी प्रतियोगिता में नागौर की बालिकाओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया था।
स्कूलों की सुखद तस्वीर
पूर्व में जहां अभिभावक बालिकाओं को स्कूल भेजने से कतराते थे, वहां आज सरकारी स्कूलों में बालिकाओं का नामांकन बालकों से ज्यादा है, यह सुखद तस्वीर है, जिसके परिणाम आने वाले दिनों में आएगा।
– बस्तीराम सांगवा, एडीपीसी, समसा, नागौर,
बच्चियों को विश्वास दिलाना होगा
सरकारी सेवा से निवृत्त होने के बाद मैं गांव में रहकर बकरियां चरा रहा हूं। एक दिन शाम के समय बकरियां लेकर घर जा रहा था तो स्कूल से घर जा रही दो बच्चियों ने मुझसे पूछा कि ‘निधि बुआ जी’ कलक्टर है क्या? मैंने कहा – हां। उन्होंने फिर पूछा और विधि बुआ? मैंने कहा, वो एसपी है। फिर उन्होंने पूछा – सच्ची में है क्या? मैंने उन्हें कहा, हां, सच्ची में है। तब मुझे लगा कि अभी गांव की बच्चियों को यह भरोसा ही नहीं है कि वे पढ़-लिखकर कलक्टर और एसपी बन सकते हैं। हमें बालिकाओं को मौका देना होगा और उनके पीछे खड़ा रहना होगा। चाहे वो कोई गलती करे, फिर भी उनके साथ रहना होगा, तभी बेटियां, बेटों के बराबर खड़ी होंगी।
– सोमदत्त नेहरा, सेवानिवृत्त एईएन (सोमदत्त नेहरा की एक बेटी निधि कलक्टर है तथा दूसरी बेटी विधि एसपी है।)
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो