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नागौर

न्याय के लिए भटक रहा पांचाराम, भाजपा सरकार के सुशासन के दावे पर लग रहा प्रश्न चिह्न

मेड़ता के आकेली-ए निवासी मां-बेटे पिछले दो साल से न्याय के लिए दर-दर खा रहे ठोकरें

नागौरMay 08, 2024 / 09:20 pm

shyam choudhary

Pancharam
नागौर. जिले की मेड़ता तहसील क्षेत्र के आकेली-ए निवासी 80 वर्षीय सायरी देवी व उसका बेटा पांचाराम पिछले दो साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं। अचरज की बात यह है कि एक अधिकारी की ओर से की गई गलत कार्रवाई को दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों ने जांच में द्वेषतापूर्वक की गई कार्रवाई बता दिया, इसके बावजूद न तो अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हो रही है और न ही पांचाराम को राहत मिल रही है। दर्जनों बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगा चुका पांचाराम गत सप्ताह एक बार मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व मुख्य सचिव सुधांश पंथ को ज्ञापन न्याय दिलाने की मांग की। सोमवार को पांचाराम ने जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित को भी ज्ञापन सौंपा।
गौरतलब है कि सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या फिर अब भाजपा की, पीडि़तों को राहत पहुंचाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन यहां एक अधिकारी (तत्कालीन तहसीलदार) को बचाने के लिए पूरा प्रशासन एक-दूसरे को कागज भेजकर मामले को टालने में लगे हुए हैं, जबकि पीडि़त पांचाराम का कहना है कि जब राजस्व विभाग के अधिकारी उसके खेत व रास्ते का नाप ही नहीं कर सकते तो फिर अतिक्रमण किस आधार पर हटाया गया। साथ ही उपखंड अधिकारी अर्चना चौधरी ने जांच रिपोर्ट में यह तक लिखा कि च्चूंकि खसरा नम्बर 905 का सीमाज्ञान ही नहीं हुआ तो खसरा नम्बर 905 खसरे के अतिक्रमियों में से केवल पांचाराम का अतिक्रमण हटाना पक्षपातपूर्ण कार्रवाई हुई है।ज् पीडि़त का यह भी कहना है कि अधिकारियों ने राजनीतिक दबाव में द्वेषतापूर्वक कार्रवाई करके उसके खेत की फसल नष्ट की और बाड़े को तोडकऱ आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाया। अब उसे नुकसान का जुर्माना दिलाया जाए और उसके पुश्तैनी कब्जे वाली जमीन का नियमन कर पट्टा जारी किया जाए।
अतिक्रमण हटाने वाले नहीं कर पाए सीमाज्ञान

जिन सरकारी कार्मिकों ने पांचाराम व उसकी मां सायरी देवी का अतिक्रमण बताकर बाड़ा आदि तोडऩे की कार्रवाई की, वे वापस सीमाज्ञान नहीं कर सके। पांचाराम की शिकायत पर मेड़ता के तत्कालीन एसडीएम ने तहसीलदार को टीम गठित करके उसके खेत व बाड़े का सीमाज्ञान कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन राजस्व कार्मिकों ने मौके पर जाकर असमर्थता जाहिर कर दी।
क्या है प्रकरण

मेड़ता तहसीलदार ने 22 जुलाई 2021 को कात्यासनी पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर आकेली-ए के खसरा नम्बर 211 की भूमि पर अवैध कब्जा बताकर अतिक्रमण अंकित करते हुए पांचाराम को बेदखल करने के आदेश दिए थे। तहसीलदार के आदेश से असंतुष्ट होकर पांचाराम ने प्रथम अपील न्यायालय जिला कलक्टर नागौर के समक्ष प्रस्तुत की, लेकिन तत्कालीन कलक्टर ने उसे खारिज कर दिया। इससे असंतुष्ट होकर पांचाराम ने न्यायालय संभागीय आयुक्त अजमेर में अपील प्रस्तुत की। संभागीय आयुक्त ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिए निर्णय में लिखा कि पटवारी हल्का कात्यासनी ने अपनी प्रत्येक रिपोर्ट में अतिक्रमण अलग-अलग प्रकार का दर्शाया है, जो यह साबित करता है कि पटवारी ने मौके पर जाकर कोई जांच नहीं की, केवल पटवार भवन में ही मौका रिपोर्ट तैयार की गई। इसलिए पीडि़त पांचाराम की जब्त की गई सामग्री को वापस लौटाया जाए। पांचाराम पिछले 8 महीने से यही मांग कर रहा है कि उसके खेत की जो पाल तोड़ी, उसे वापस बनाया जाए तथा खेत का सीमाज्ञान करके पत्थरगढ़ी की जाए।

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