scriptVideo : खींवसर में ‘वोटर स्लीप’ से ‘स्लीप’ हुआ मतदान प्रतिशत | Polling percentage down in Khinvasar from 'voter slip' | Patrika News
नागौर

Video : खींवसर में ‘वोटर स्लीप’ से ‘स्लीप’ हुआ मतदान प्रतिशत

Polling percentage down in Khinvasar from ‘voter slip’, वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में खींवसर में हुआ था 75.58 प्रतिशत मतदान, पहचान पत्र की अनिवार्यता ने गिराया मतदान प्रतिशत

नागौरOct 22, 2019 / 12:15 pm

shyam choudhary

Polling in Khinvasar

Polling percentage down in Khinvasar from ‘voter slip’

नागौर. नागौर जिले के खींवसर विधानसभा में सोमवार को हुए उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत गत वर्ष के आम चुनाव की तुलना में करीब 13 फीसदी कम रहा। मतदान प्रतिशत कम रहने के पीछे प्रत्याशी एवं राजनीतिक विश्लेषक कई कारण बता रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से मतदाता पर्ची का अमान्य करना व चौमासे के चलते खेतों में फसलों की कटाई का काम होना है। सोमवार को हुए उपचुनाव में 62.49 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि गत वर्ष आम चुनाव में 75.58 प्रतिशत मतदान खींवसर विधानसभा में हुआ था।
विधानसभा चुनाव 2018 – 75.58 प्रतिशत पूरे प्रदेश की बात करें तो वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 86.94 प्रतिशत मतदान वोटर स्लीप (मतदाता पर्ची) से हुआ था, जबकि खींवसर में मतदाता पर्ची से 86.93 प्रतिशत मतदान हुआ और मतदाता पहचान पत्र से 10.32 प्रतिशत मतदान हुआ। अन्य दस्तावेजों से 2.74 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि इस बार चुनाव आयोग ने मतदाता पर्ची को अमान्य करते हुए मतदाता पहचान पत्र या अन्य अधिकृत 11 दस्तावेजों की अनिवार्यता कर दी, जिसके परिणामस्वरूप मतदान का प्रतिशत कम हो गया। चुनाव आयोग को यह सूचना मिली कि प्रदेश में मतदाता पर्ची से फर्जी मतदान ज्यादा हुआ, इसलिए पहचान पत्र की अनिवार्यता लागू कर दी। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में खींवसर विधानसभा क्षेत्र में 64 प्रतिशत मतदान हुआ था।
छह साल पहले हुई थी वोटर स्लीप की शुरुआत
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने मतदान के दौरान पहचान पत्र को लेकर आने वाली समस्या का समाधान करने एवं मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए विधानसभा चुनाव-2013 में मतदाताओं को बीएलओ के माध्यम से वोटर स्लीप का वितरण करवाया था, जिसका परिणाम यह रहा कि 76.31 प्रतिशत मतदाताओं ने वोटर स्लीप से मतदान किया। साथ ही मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि हुई थी। इसको देखते हुए चुनाव आयोग ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी वोटर स्लीप का वितरण करवाया, जिसके चलते मतदान में वृद्धि तो नहीं हो पाई, लेकिन वोटर स्लीप के माध्यम से मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या 13 प्रतिशत बढ़ गई। वर्ष 2018 में जिले में 89.42 प्रतिशत मतदाताओं ने वोटर स्लीप के माध्यम से वोट दिया।
फैक्ट फाइल
वर्ष 2018 का खींवसर विधानसभा चुनाव
कुल मतदाता – 2,46,403
मत पड़े – 1,86,237
मतदान प्रतिशत – 75.58

खींवसर उपचुनाव -2019
कुल मतदाता – 2,50,155
मत पड़े – 1,56,000 लगभग
मतदान प्रतिशत -62.49
कुल बूथ – 266
संवेदनशील – 113
पहचान पत्र दिखाने पर ही मिला प्रवेश
सोमवार को खींवसर विधानसभा के सभी 266 बूथों पर पहचान पत्र की अनिवार्यता को काफी सख्ती के साथ लागू किया गया। जानकारी के अभाव में कई मतदाता बीएलओ द्वारा घर-घर वितरित की गई मतदाता पर्ची लेकर बूथ पर पहुंचे, लेकिन मतदान कार्मिकों ने उन्हें वापस लौटा दिया। जो मतदाता पहचान पत्र लेकर पहुंचे, उन्हें ही मत देने के लिए प्रवेश दिया गया।
पुलिस की रही माकूल व्यवस्था

विधानसभा उपचुनाव को लेकर इस बार पुलिस जाब्ते की माकूल व्यवस्था रही। सभी मतदान केन्द्रों पर तैनात जाब्ते के साथ पुलिस अधिकारी गश्त करते नजर आए। चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गया।
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मतदान मतदान के मायने
मतदाता पर्ची – माना जा रहा है कि मतदाता पर्ची को अमान्य करने के कारण कई मतदाता बूथ के प्रवेश द्वार तक पहुंचकर वापस लौट आए। यदि ऐसा है तो इसका सीधा नुकसान एनडीए को हो सकता है। यह भी माना जा रहा है कि मजदूर तबके के लोग खेतों से सीधे वोट देने पहुंचे, उनके पास मतदाता पर्ची ही थी, जिसके चलते वोट नहीं दे पाए। इसका नुकसान कांग्रेस को होगा।
रुझान कम – गौरतलब है कि एनडीए व कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी जाट हैं, ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अदर कास्ट ने मतदान में रुचि कम दिखाई। एससी का कम मतदान कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा, वहीं स्वर्ण जातियों का कम मतदान एनडीए के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
खेतों में व्यस्त – कम मतदान का तीसरा कारण फसलों की कटाई का समय होने से मतदाताओं का खेतों में व्यस्त होना भी रहा है। खींवसर क्षेत्र में ज्यादातर क्षेत्र कपास की खेती होने से मजदूर तबके के लोग कपास बीनने में व्यस्त होने से बूथ तक नहीं पहुंच पाए, इसका नुकसान भी दोनों प्रत्याशियों को हो सकता है।
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