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नागौर

हनुमान बेनीवाल के दबदबे को कांग्रेस की चुनौती, यहां कड़े मुकाबले के बीच सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर

Rajasthan By Elections 2019: नागौर जिले के खींवसर ( Khinvsar ) विधानसभा क्षेत्र ( Rajasthan By Elections 2019 ) में आगामी 21 अक्टूबर को होने वाले पहले उपचुनाव में मिर्धा परिवार और मौजूदा कांग्रेस सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है। आजादी के बाद से देश-प्रदेश की राजनीति में छाए रहे मिर्धा परिवार के वारिस पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा ( Harendra Mirdha ) कांग्रेस प्रत्याशी हैं…

नागौरOct 19, 2019 / 10:50 am

dinesh

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सुरेश व्यास/खींवसर। नागौर जिले के खींवसर ( Khinvsar ) विधानसभा क्षेत्र ( Rajasthan By Elections 2019 ) में आगामी 21 अक्टूबर को होने वाले पहले उपचुनाव में मिर्धा परिवार और मौजूदा कांग्रेस सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है। आजादी के बाद से देश-प्रदेश की राजनीति में छाए रहे मिर्धा परिवार के वारिस पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा ( Harendra Mirdha ) कांग्रेस प्रत्याशी हैं। उन्हें पिछले विधानसभा चुनाव ( Vidhan Sabha Election ) से ऐन पहले बने क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के प्रत्याशी नारायण बेनीवाल ( Narayan Beniwal ) से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।
पुनर्सीमांकन मेंमूंडवा से तोडकऱ बनाए गए खींवसर विधानसभा क्षेत्र में 2008 से अब तक मारवाड़ की राजनीति के नए क्षत्रप हनुमान बेनीवाल ( Hanuman Beniwal ) का दबदबा रहा है। वह यहां भाजपा, निर्दलीय व रालोपा प्रत्याशी के रूप में तीनों विधानसभा चुनाव जीते और अब सांसद हैं। क्षेत्र में पहली बार उप चुनाव हो रहा है। इलाके में हालांकि चुनावी शोरशराबा नहीं के बराबर है लेकिन उप चुनाव के नतीजों पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी हैं। पिछले चुनाव में पहली बार दूसरे नम्बर पर रही कांग्रेस यह सीट हथियाने की कोशिश में है तो बेनीवाल का समर्थन कर रही भाजपा यहां की जीत के बहाने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को दबाव में लाने की कोशिश में जुटी है। उपचुनाव में पहली बार आमने-सामने की टक्कर है। इसमें हरेंद्र प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के साथ खुद के लगातार पंद्रह साल से चुनाव हारने के बाद संभावित सहानुभूति की लहर तो रालोपा प्रत्याशी नारायण पूरे इलाके में सांसद भाई हनुमान की सक्रियता के साथ भाजपा का वोट बैंक साथ जुडऩे के भरोसे चुनावी नैय्या पार लगने के अरमान पाल रहे हैं।
मुद्दे गौण, मतदाता मौन
उपचुनाव के दौरान मुद्दे गौण हैं, मतदाता मौन हैं। जोधपुर-नागौर हाईवे पर सोयला गांव के बाद से ही खींवसर का इलाका शुरू हो जाता है। कहीं भी चुनावी हलचल नजर नहीं आती। क्षेत्र के नागड़ी गांव में हथाई पर बैठे लोग चुनावी चर्चा से दूर ही नजर आए। गांव के युवा रामदेव जाट तो उलटे पूछने लगे कि आप बताओ हवा किसकी है? ज्यादा कुरेदने पर कहने लगे कि वोट तो इस बार आधे-आधे बंटेंगे। खींवसर के पदमसर चौराहे पर मिले बालाराम सारण ने कहा कि शुरुआत में जरूर मुकाबला एकतरफा दिख रहा था लेकिन अब नहीं। कैमिस्ट रामदयाल गौड़ बोले, यहां आज तक लोगों ने पार्टी की बजाय प्रत्याशी देखकर ही वोट दिया है। बुजुर्ग हुकमाराम जाट की राय में इस बार फैसला जरा मुश्किल होगा। पांचोड़ी गांव के बस स्टैंड पर नरपतसिंह कहने लगे कि दोनों प्रत्याशियों को लेकर बुजुर्गों और युवाओं की राय जुदा है।
सीधी टक्कर
यहां अब तक हुए तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस तो अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई ही लड़ती रही। साल 2008 व 2013 के चुनाव में बसपा के दुर्गसिंह ने मुकाबला त्रिकोणात्मक बना दिया। 2018 के विधानसभा चुनाव में रालोपा, कांग्रेस व भाजपा में त्रिकोणात्मक मुकाबला हुआ। इस बार रालोपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर है।
मुकाबला थळी और साळग का
स्थानीय भाषा में थळी-साळग नाम से पूरा क्षेत्र दो हिस्सों में बंटता है। राजनीतिक रूप से भी दोनों इलाकों की प्रतिस्पर्धा हार-जीत का अंतर तय करती रही है। खींवसर के बायीं ओर थळी, दायीं ओर का इलाका साळग है। मुद्दों से ज्यादा लोग थळी-साळग पर ज्यादा बात करते नजर आते हैं।
ताकत-कमजोरी
कांग्रेस : हरेन्द्र मिर्धा
ताकत
-राज्य में कांग्रेस की सरकार
-एकजुट मिर्धा परिवार
-राजनीति का लम्बा अनुभव

कमजोरी
-जनता से जुड़ाव का अभाव
-पिछले 15 साल में जीत नहीं
-क्षेत्र में निष्क्रियता
रालोपा : नारायण बेनीवाल
ताकत
– बड़े भाई हनुमान विधायक
– भाजपा का वोट बैंक
– क्षेत्र के लोगों से सीधा जुड़ाव

कमजोरी
-भाजपा से भीतरघात संभव
-अनुभव की कमी
-परिवारवाद को बढ़ावे का आरोप

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