समय पर मिले भूमि व बजट तो हो काम जिला प्रशासन की ओर से पंचायतीराज विभाग को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार नागौर में शोध केन्द्र/ प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के लिए एक प्रशासनिक प्रशिक्षण सह दक्षता अभिवृद्धि भवन एवं एक प्रशासनिक भवन, हॉस्टल, आवास, प्रशिक्षण हॉल, संग्रहालय भवन, लाइब्रेरी आदि बनाने प्रस्तावित है। इसके लिए अनुमानित पांच करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा गौरतलब है कि पंचायतीराज व्यवस्था के 61 वर्ष पूरे होने पर राजस्थान पत्रिका ने दिसम्बर 2020 को समाचार प्रकाशित कर जिले में पंचायतीराज शोध संसथान/केन्द्र की स्थापना करने के इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने मुख्य सचिव सहित पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव को बार-बार पत्र लिखे। उधर, कॉलेज व्याख्याता डॉ. प्रेमसिंह बुगासरा, जिला परिषद के सदस्य ओमप्रकाश सेन, गांधी शांति दर्शन समिति के जिला सह संयोजक हीरालाल भाटी ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर एवं स्थानीय स्तर पर ज्ञापन सौंपकर पंचायतीराज शोध संस्थान विकसित करने की मांग की। बजट से पहले पूर्व सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी मुख्यमंत्री एवं पंचायतीराज मंत्री को पत्र लिखे थे। इसके बाद 15 मार्च 2022 को विधानसभा में पंचायतीराज विभाग की चर्चा के दौरान पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल ने आवाज उठाई। जिसके बाद मंत्री ने शोध संस्थान की घोषणा की थी।
सरकार से दुबारा करेंगे मांग जिला मुख्यालय पर पंचायतीराज शोध संस्थान के लिए जमीन एवं बजट आवंटन के लिए दुबारा मांग करेंगे। अब भाजपा की सरकार है, इसलिए उम्मीद है कि पंचायतीराज शोध संस्थान के लिए बजट व जमीन आवंटन का काम हो जाएगा।
– भागीरथराम चौधरी, जिला प्रमुख, जिला परिषद, नागौर