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नागौर

घोषणा करके भूल गई सरकार, शोध केन्द्र के लिए जमीन के साथ बजट भी चाहिए

राज्य सरकार ने दो वर्ष पहले की थी नागौर में पंचायतीराज शोध केन्द्र खोलने की घोषणा, एक साल बीतने के बावजूद न बजट दिया और न ही जमीन आवंटित की, जिला प्रशासन ने डेढ़ साल पहले शोध केन्द्र के लिए 4.8562 हैक्टेयर भूमि आवंटित करने का सरकार को भेजा था प्रस्ताव

नागौरApr 24, 2024 / 10:17 am

shyam choudhary

panchayatraj day

नागौर के पुलिस लाइन परिसर में बना पंचायतीराज स्मारक

नागौर. नागौर में पंचायतीराज शोध केन्द्र विकसित करने को लेकर रा’य सरकार की ओर से करीब 25 महीने पहले की गई घोषणा आज भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। पंचायतीराज विभाग के तत्कालीन मंत्री ने 15 मार्च 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि नागौर में पंचायतीराज शोध केन्द्र विकसित किया जाएगा। विधानसभा में घोषणा करने के बावजूद अब तक न तो जमीन आवंटित की गई है और न ही बजट दिया गया है। जबकि करीब डेढ़ साल पहले जिला प्रशासन ने पंचायतीराज शोध केन्द्र/संस्थान के लिए करीब 4.85 हैक्टेयर जमीन आवंटन करने का प्रस्ताव रा’य सरकार को भेजा, लेकिन उस पर भी अब तक स्वीकृति की मुहर नहीं लग पाई है। ऐसे में रा’य सरकार की घोषणा थोथी साबित हो रही है, जबकि पंचायतीराज की शुरुआत देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने नागौर से की थी। गौरतलब है कि भारत में पंचायतीराज व्यवस्था के शुभारम्भ की गवाह रही नागौर की वीर भूमि पर पंचायतीराज शोध केन्द्र विकसित करने की घोषणा करीब 25 महीने पहले की थी। इसके बाद जिला कलक्टर ने 11 अक्टूबर 2022 में पंचायतीराज शोध केन्द्र/संस्थान विकसित करने के लिए बीकानेर रोड पर 4.85 हैक्टेयर भूमि आवंटन का प्रस्ताव रा’य सरकार को भेजा था, इसके बावजूद जमीन आवंटित नहीं हो पाई। गत वर्ष जिला प्रमुख भागीरथराम चौधरी ने भी सरकार को पत्र लिखा, लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई।
समय पर मिले भूमि व बजट तो हो काम

जिला प्रशासन की ओर से पंचायतीराज विभाग को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार नागौर में शोध केन्द्र/ प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के लिए एक प्रशासनिक प्रशिक्षण सह दक्षता अभिवृद्धि भवन एवं एक प्रशासनिक भवन, हॉस्टल, आवास, प्रशिक्षण हॉल, संग्रहालय भवन, लाइब्रेरी आदि बनाने प्रस्तावित है। इसके लिए अनुमानित पांच करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा

गौरतलब है कि पंचायतीराज व्यवस्था के 61 वर्ष पूरे होने पर राजस्थान पत्रिका ने दिसम्बर 2020 को समाचार प्रकाशित कर जिले में पंचायतीराज शोध संसथान/केन्द्र की स्थापना करने के इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने मुख्य सचिव सहित पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव को बार-बार पत्र लिखे। उधर, कॉलेज व्याख्याता डॉ. प्रेमसिंह बुगासरा, जिला परिषद के सदस्य ओमप्रकाश सेन, गांधी शांति दर्शन समिति के जिला सह संयोजक हीरालाल भाटी ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर एवं स्थानीय स्तर पर ज्ञापन सौंपकर पंचायतीराज शोध संस्थान विकसित करने की मांग की। बजट से पहले पूर्व सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी मुख्यमंत्री एवं पंचायतीराज मंत्री को पत्र लिखे थे। इसके बाद 15 मार्च 2022 को विधानसभा में पंचायतीराज विभाग की चर्चा के दौरान पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल ने आवाज उठाई। जिसके बाद मंत्री ने शोध संस्थान की घोषणा की थी।
सरकार से दुबारा करेंगे मांग

जिला मुख्यालय पर पंचायतीराज शोध संस्थान के लिए जमीन एवं बजट आवंटन के लिए दुबारा मांग करेंगे। अब भाजपा की सरकार है, इसलिए उम्मीद है कि पंचायतीराज शोध संस्थान के लिए बजट व जमीन आवंटन का काम हो जाएगा।
– भागीरथराम चौधरी, जिला प्रमुख, जिला परिषद, नागौर

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