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नागौर

उद्यानिकी के प्रति बढ़ रहा है नागौर के किसानों का रुझान

जिले में अब तक लग चुके 400 से अधिक पॉली हाउस- जिले में करीब 2.50 लाख हैक्टेयर में हो रही सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों से सिंचाई- पानी की कमी को देखते हुए किसानों ने ड्रीप, मिनी स्प्रिंकलर व फव्वारा सिंचाई पद्धति को अपनाया

नागौरFeb 13, 2024 / 12:15 pm

shyam choudhary

The inclination of Nagaur farmers towards horticulture is increasing

The inclination of Nagaur farmers towards horticulture is increasing

नागौर जिले में समय के साथ भूजल स्तर में आई गिरावट व सरकार की ओर से आधुनिक खेती को बढ़ावा देने का परिणाम नजर आने लगा है। जिले में पिछले कुछ वर्षों से किसान परम्परागत खेती को छोडकऱ बागवानी/उद्यानिकी खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उद्यानिकी में किसानों को आमदनी भी अच्छी हो रही है और रिस्क भी कम है। जिले में फल, सब्जी, मसाला, औषधीय फसलों की विपुल संभावनाएं हैं। उद्यानिकी विभाग की ओर से उद्यानिकी फसलों के साथ वर्षा जल संरक्षण को बढ़ावा देने एवं फसल क्षेत्र उत्पादन बढ़ाने के साथ गुणवत्ता सुधार के लिए भारत सरकार व राज्य सरकार की ओर से विभिन्न अनुदानित योजनाएं संचालित हैं।
जिले में किसानों की ओर से अब तक 400 पॉली हाउस लगाकर खेती की जा रही है। साथ ही 2.53 लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों से सिंचाई की जा रही है। गत दो सालों में उद्यान विभाग से अनुदान प्राप्त करने के लिए कृषकों के आवेदनों की संख्या में बढोतरी हुई है। इस साल जिले में सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र स्थापना के लक्ष्य 4,674 हैक्टेयर मिले थे, जिनको शत-प्रतिशत पूर्ण करने के बाद लम्बित आवेदन अधिक होने पर उद्यान विभाग की ओर से 4 हजार हैक्टेयर लक्ष्यों की मांग और की गई है।

50 से 95 प्रतिशत तक मिलता है अनुदान
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत जिले में अब तक सामुदायिक जल स्त्रोत, फलदार बगीचा स्थापना, वर्मी कम्पोस्ट, प्याज भण्डारण संरचना, पॉली हाउस, शेडनेट हाउस, प्लास्टिक मल्च, लॉ-टनल पर विभाग की ओर से 50 से 95 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। साथ ही ड्रीप संयंत्र, फव्वारा संयंत्र स्थापना पर विभाग की ओर से 70 से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।

फेक्ट फाइल
जिले में फल बगीचों का क्षेत्रफल – 796 हैक्टेयर
सब्जियों की खेती का क्षेत्रफल – 8546 हैक्टेयर
फूलों की खेती का क्षेत्रफल – 105 हैक्टेयर
मसाला फसलें जीरा, सौंफ एवं पान मैथी की खेती का क्षेत्रफल – 66,225 हैक्टेयर
औषधीय फसलें सिंधी सुवा व ईसबगोल की खेती का क्षेत्रफल – 65,000 हैक्टेयर
संरक्षित खेती पॉली हाउस व शेडनेट हाउस का क्षेत्रफल – 8 लाख वर्ग मीटर
सूक्ष्म सिंचाई पद्धति (ड्रीप/मिनी स्प्रिंकलर/फव्वारा) का क्षेत्रफल – 2,53,305 हैक्टेयर
सोलर पम्प सेट (वर्ष 2012-13 से 2022-23 तक) की संख्या – 2250
जल संग्रहण संरचनाएं (वर्ष 2012-13 से 2022-23 तक) – 225
कम लागत प्याज भंडारण संरचनाएं – 5650

इन फसलों पर दिया जा रहा जोर
जिले में जलवायु परिस्थितियों व मृदा दशाओं के आधार पर फलदार पौधों में अनार, आंवला, बेर, नींबू, पपीता की ख्ेाती को बढ़ावा दिया जा रहा है और किसान रुचि भी दिखा रहे हैं। मसाला में मैथी व जीरा, औषधीय फसलों में ग्वारपाठा व ईसबगोल पर एवं सब्जी में प्याज, फूलगोभी, टमाटर की खेती पर जोर दिया जा रहा है।

एससी-एसटी वर्ग के किसानों में कम रुझान
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उद्यानिकी विभाग की योजनाओं में सामान्य किसान तो रुचि दिखा रहे हैं, लेकिन एससी-एसटी वर्ग के किसानों की रुचि अपेक्षाकृत कम है। हालांकि इसके लिए प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है, लेकिन फिर भी इसमें सुधार की आवश्यकता है। लघु एवं सीमांत किसानों को अनुदान भी अधिक दिया जाता है।

लक्ष्यों की पूर्ति कर ली
उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं में जिले को आंवटित लक्ष्यों की पूर्ति कर ली गई है। केवल अनुसुचित जाति के कृषकों के आवेदन अनुदान प्राप्ति के लिए कम आ रह हैं, जिसके लिए प्रचार-प्रसार अधिकारियों व कार्मिकों की ओर से किया जा रहा है। अनुसूचित जाति के कृषकों के आवेदन प्राप्त होते ही तुरन्त स्वीकृति जारी की जा रही है तथा अनुदान भुगतान के लिए बजट की कोई कमी नहीं है।
– हरीश मेहरा, उप निदेशक, उद्यान, नागौर

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