नगर परिषद ने इस जगह व्यवसायिक योजना के तहत पच्चीस भूखंड विकसित किए हैं। इनमें सें एक भूखंड पर अतिक्रमी काबिज हो गया था। इसे हटाने के लिए दस्ता मौके पर पहुंचा, लेकिन लोगों का विरोध झेलना पड़ा। इसके बाद दस्ते में शामिल कार्मिकों ने अतिक्रमी से ही समझाइश की, जिस पर वह सामान हटाने के लिए मान गया।
बिना नोटिस कार्रवाई का लगाया आरोप
उधर, दुकान को तोड़े जाने के मामले में माजिद अकरम ने नगर परिषद कार्मिकों पर आरोप लगाया है। बताया कि उसने नगर परिषद में आठ लाख रुपए जमा करवाकर यह दुकान आवंटित करवाई थी, लेकिन उसे दस्तावेज मुहैया नहीं करवाए गए। परिषद के अधिकारियों व कर्मचारियों पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। बिना नोटिस दिए नगर परिषद ने यह कार्रवाई की गई है। इस दुकान को लेकर कोर्ट से स्थगन आदेश ले रखा था, लेकिन उसकी दुकान तोड़ दी गई।