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नागौर

पान मैथी को दुनिया मान रही मसाला पर सरकार नहीं

नागौरी पान मैथी को मसाले के रूप में जीआई टैग की दरकार

नागौरFeb 04, 2024 / 11:24 am

shyam choudhary

The world is considering paan methi as a spice but the government is not.

The world is considering paan methi as a spice but the government is not.

देश ही नहीं दुनियाभर की रसोई को अपनी खुशबू से महका रही नागौरी पान मैथी (कसूरी मैथी) को देश की कई नामी कम्पनियां सालों से मसाले के रूप में प्रचारित कर बेच रही हैं, लेकिन सरकार इसे मसाला मानने को तैयार नहीं है। अपनी महक व औषधीय गुणों के चलते नागौरी मैथी का कारोबार दिनों-दिन बढ़ रहा है, ऐसे में इसे मसाले के रूप जीआई टैग की भी दरकार है। गौरतलब है कि सरकार ने पान मैथी को 2017 में नोटिफाई कमोडिटी में शामिल किया था।

नागौरी पान मैथी अब अन्य मसालों की तरह हर रसोई की जरूरत बन चुकी है। पिछले कुछ ही साल में इसकी डिमांड दस गुना तक बढ़ चुकी है। नागौर की जलवायु एवं मिट्टी इसके उत्पादन के लिए अनुकूल होने से खुशबू भी अधिक रहती है। नागौर में वर्तमान में 50 के करीब प्रोसेसिंग यूनिट लगी हुई हैं, जो किसानों से खरीद करने के बाद मैथी को साफ कर बाहर भेज रही हैं।

सब्जी का जायका बदल देती है
नागौरी पान मैथी के बिना रसोई का स्वाद अधूरा है, फिर चाहे घर की रसोई में बना खाना हो या पांच सितारा होटल की स्पेशल रेसिपी हो। नागौरी पान मैथी की खुशबू ही ऐसी है, जो हर सब्जी का जायका बदल देती है। यही वजह है कि नागौर में उगाई जाने वाली पान मैथी की हरी सूखी पत्तियां देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी महक बिखेर रही है।

बढ़ रही है जीआई टैग की मांग
अब नागौरी पान मैथी (कसूरी मैथी) को जीआई टैग देने की मांग बढऩे लगी है। जीआई टैग का मतलब ज्योग्राफिकल इंडिकेशन से है, जिसे भौगोलिक पहचान के नाम से जाना जाता है। इसमें फसल का उत्पादन, उसकी गुणवत्ता प्रतिष्ठा और अन्य विशेषताएं शामिल हैं। जीआई टैग मिलने से इसकी उपयोगिता और मांग दोनों में बढ़ोतरी होगी, जिससे किसानों को भी आर्थिक सहायता मिलेगी।

नागौर में पान मैथी की खेती
नागौर कृषि विभाग के अनुसार जिले में इस बार करीब 7000 हैक्टेयर में पान मैथी की बुआई हुई है। यह पिछले साल की तुलना में अधिक है।

यह होंगे जीआई टैग के फायदे
– उत्पाद को कानूनी सुरक्षा
– उत्पाद के अनधिकृत उपयोग पर रोक
– प्रमाणिकता का आश्वासन
– राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में जीआई टैग वस्तुओं की मांग बढने से उत्पादकों की समृद्धि को बढावा मिलता है
– उत्पाद की विश्वसनीयता को बढ़़ावा मिलता है।

प्रयास कर रहे हैं
पान मैथी के जीआई टैग को लेकर नागौर मंडी सचिव से बात हुई थी। उपखंड मुख्यालय से भी प्रयास किए जा रहे हैं। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग को पत्र लिखकर इस संबध में अवगत करवाने की प्रक्रिया चल रही है।
– अमिता मान, उपखंड अधिकारी, मूंडवा

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