रिक्रूटिंग वर्ष 2020 के तहत प्रदेश के पांच में से सिर्फ तीन सेना भर्ती कार्यालय जयपुर, जोधपुर और कोटा के अंतर्गत आने वाले जिलों के युवाओं की ही सेना भर्ती कराई गई, जबकि शेष दो सेना भर्ती कार्यालय अलवर और झुंझुनूं की सेना भर्ती नहीं कराई गई। इसमें अलवर सेना भर्ती में प्रदेश के भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा और अलवर के युवाओं की भर्ती नहीं हुई। वहीं झुंझूनूं सेना भर्ती कार्यालय के तहत आने वाले हनुमानगढ़, गंगानगर, चुरु, झुंझुनूं और बीकानेर जिले के युवाओं के लिए वर्ष 2020 में सेना भर्ती नहीं कराई गई। अब साल 2021 भी खत्म होने को आया है और अभी तक भी इनकी सेना भर्ती नहीं कराई गई है। ऐसे में देश सेवा का जज्बा लिए हजारों युवा समय पर सेना भर्ती नहीं होने से ओवरएज हो रहे हैं, इसलिए इन युवाओं को कम से कम दो साल उम्र में छूट प्रदान की जाए।
सांसद बेनीवाल ने सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रीय औषध शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2021 पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भारत वैश्विक फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, यदि सही कदम उठाए जाएं और उपयुक्त तरीके से संपोषण किया जाए तो भारत वैश्विक फार्मास्यूटिकल बाजार में अग्रणी देश बन सकता है, उन्होंने कहा कि भारत के फार्मा सेक्टर में जो समस्याएं हैं, उनके समाधान पर गौर करने की जरूरत है, क्योंकि भारत श्रमशक्ति और प्रतिभा के मामले में तो समृद्ध है, लेकिन फिर भी नवाचार अवसंरचना के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। सांसद ने कहा कि आज नकली दवाओं का बढ़ता कारोबार बहुत बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि दवा का नकली कारोबार कोरोना जैसे संकट काल में भी नकली रेमडेसिविर बेचने वाली सूरत की गैंग से खुलासा हुआ है कि कोरोना की दूसरी लहर में आरोपी एक लाख से ज्यादा नकली इंजेक्शन पूरे देश मे विक्रय कर चुके थे। उन्होंने कहा कि भारत समेत लोअर और मिडिल इनकम आय वाले देशों में नकली दवाओं का कारोबार 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो चिंताजनक है, इसलिए कड़े कानून की जरूरत है।
सांसद ने कहा कि फार्मासिस्ट हेल्थ केयर सिस्टम में डॉक्टर व मरीज के मध्य संयोजक की कड़ी माना जाता है। ऐसे में उनके स्थाई रोजगार, सरकारी चिकित्सा संस्थानों में उनकी पद वृद्धि व सरकारी संस्थानों में उनकी अनिवार्य उपलब्धता को लेकर राज्य पालना करे, इसकी सुनिश्चितता करने की जरूरत है।
सांसद ने राजस्थान के जोधपुर स्थित एम्स अस्पताल के निदेशक की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एम्स जोधपुर में संविदा आधारित भर्तियो में भारी गड़बडिय़ों हुई है, जिसकी जांच करवाई जाए। उन्होंने एम्स अस्पताल के चिकित्सक द्वारा आत्महत्या कर लेने तथा कोरोना के दौरान एम्स में हुई सर्वाधिक मौतों पर भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान आकर्षित किया।