scriptकहां चले गए जलीय पक्षी | Where did the aquatic birds go? | Patrika News
नागौर

कहां चले गए जलीय पक्षी

कुचामन में फ्लेमिंगों एवं डीडवाना में हंसावर मिले, अन्य जगहों पर जलीय पक्षियों की संख्या शून्य

नागौरJun 13, 2018 / 12:58 pm

Sharad Shukla

Nagaur patrika

Where did the aquatic birds go?

नागौर. जिले में वन विभाग की ओर से जलीय पक्षियों की हुई गणना में कुल साढ़े तीन हजार से ज्यादा पक्षी मिले हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या बड़ा हंवासर पक्षी की है, जबकि सबसे कम महज तीन की संख्या में सामान्य क्रोंच पक्षी मिले हैं। कुचामन एवं डीडवाना क्षेत्र को छोडकऱ जिले के अन्य तालाबों एवं क्षेत्रों में पक्षियों की संख्या शून्य मिली। हालांकि इसके पूर्व पशुओं के साथ ही बटेर, बयां एवं उल्लू आदि की गणना पहले ही की जा चुकी है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जलीय पक्षियों की गणना के लिए तालाबों के चिंहित हुए प्वाइंट्स पर दर्जन भर से ज्यादा कर्मचारियों को लगाया गया था।
जलीय पक्षी संख्या क्षेत्र
ग्रेटर फ्लेमिंगों 19 कुचामन
काली गर्दनडुबडुबी 85 कुचामन
सामान्य क्रोंच 3 कुचामन
बड़ा हंसावर 1030 सिंधी तलाई-1 (डीडवाना)
छोटा हंसावर 290 सिंधी तलाई-1
बड़ा हंसावर 560 सिंधी तलाई-2
छोटा हंसावर 165 सिंधी तलाई-2
बड़ा हसंावर 1380 सिंधी तलाई-3
छोटा हंसावर 310 सिंधी तलाई-3
इनका कहना है…
विभाग की ओर से जलीय पक्षियों की गणना में साढ़े तीन हजार से ज्यादा पाए गए हैं। इनके लिए और बेहतर वातावरण तैयार करने का प्रयास विभाग की ओर से होगा।
मोहित गुप्ता, उपवन संरक्षक, वन विभाग नागौर

ड्रेस कोड सहित दस सूत्रों के पालना की ली शपथ
नागौर. राजस्थान पत्रिका एवं जिला प्रशासन की ओर से सरकारी सूरत बदलने के अभियान में डेगाना में शिक्षकों के शिविर में नए सत्र से ड्रेस कोड में आने सहित दस सूत्रों का अमल किए जाने की शपथ दिलाई गई। सुबह करीब 11 बजे शुरू हुए शिविर में रमसा के रामदेव पूनिया ने शिक्षकों से कहा कि उन्हें बदलाव की राह पर चलने के लिए अब तैयार होना चाहिए, क्यों कि अगर वह नहीं बदले तो फिर हालात और खराब हो जाएंगे। पूनिया ने कहा कि बदलाव के दस सूत्रों में ड्रेस कोड भी एक प्रमुख सूत्र है। शिक्षकों के ड्रेस कोड में आने पर विद्यालय के विद्यार्थियों को एक अलग तरह के वातावरण का एहसास होगा। इसके साथ ही अनुशासन का संदेश भी जाएगा। दूसरा विद्यालयों का रंग एक जैसा होने पर राजकीय शिक्षण संस्थानों की एक नई पहचान बनेगी। इसके साथ ही शिक्षकों को खुद ही सोचना होगा कि आखिरकार उनके विद्यालयों की अपेक्षा निजी शिक्षण संस्थानों में बच्चे क्यों जाते हैं। इस पर उन्होंने मनन किया तो फिर बदलाव के लिए बने दस सूत्रों की पालना में वह खुद-ब-खुद जुट जाएंगे। एसएसके गोपाल प्रसाद मीणा ने कहा कि नामांकन का पहला चरण समाप्त हो चुका है, अब दूसरा चरण 19 जून से शुरू होगा। आखिर शिक्षा विभाग को इस तरह के नामांकन अभियान चलाने एवं स्कूलों में कार्यरत संस्था प्रधानों व शिक्षकों को इसका लक्ष्य दिए जाने की स्थिति क्यों आई, क्यों नहीं सरकारी विद्यालयों में बच्चे आते हैं, सरकारी शिक्षण संस्थान में बच्चों को प्रवेश दिलाने के नाम पर अभिभावक क्यों मना करने लगे हैं। इन सभी बातों पर गौर करना पड़ेगा। इन्हीं सब बिंदुओं को ध्यान में रखकर बदलाव के लिए 10 सूत्रों को प्रशासनिक देखरेख में बनाया गया है। शिक्षकों को इन सूत्रों की पालना स्वेच्छा से करनी है। इसके पहले अगर वह खुद इन सूत्रोंं पर मंथन करेंगे तो निष्कर्ष यही निकलेगा कि इनकी पालना में ही उनकी भलाई है।
सवा सौ शिक्षकों ने ली शपथ
शिविर में चर्चा के बाद ड्रेस कोड सहित दस सूत्रों की पालना के लिए शिक्षकों को शपथ दिलाई गई। शपथ में शिक्षकों ने कहा कि वह इनकी पालना के लिए दृण-संकल्पित रहेंगे। इसके बाद वहीं शिक्षकों की हुई बैठक में इन सूत्रों पर बिंदुवत परस्पर चर्चा हुई। सभी इससे सहमत नजर आए।

Home / Nagaur / कहां चले गए जलीय पक्षी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो