हत्याखेड़ी में अगर बारिश के दिनों में कोई रात के समय बीमार हो जाता है तो उसे चिकित्सा सुविधा के लिए सुमराखेड़ा जाना पड़ता है। अगर फोन लगाकर 100 व 108 भी बुलाई जाए तो वह भी एक किमी दूर खड़ी रहती है। यह समस्या आज की नहीं है। इस समस्या को लेकर जिम्मेदार भी मौन है। दरअसल इस गांव हत्याखेड़ी में आजादी के बाद से अभी तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। विडंबना यह है कि इस गांव की ओर किसी भी जनप्रतिनिधि एवं अफसरों का ध्यान नहीं है। ग्रामीणों को पूरी बारिश जान हथेली लेकर रेलवे लाइन से गुजरकर सुमराखेड़ा जाना पड़ रहा है।
सड़क पर पसरा रहता है कीचड़
इस गांव के लोगों के लिए बारिश मुसीबत बनकर आती है। यहां के बाशिंदे बारिश में ना तो घर से निकल पाते है और ना ही बाइक से कहा जा पाते है। इस गांव के पास उज्जैन-भोपाल रेलवे लाइन होकर गुजर रही है। बारिश के दिनों में यह रेलवे मार्ग ही इस गांव के लोगों के लि गांव पहुंचने का रास्ता है।
पानी से होकर गुजर रहे छात्र
इस गांव के विद्यार्थी शहर में अध्ययन करने के लिए पानी में होकर गुजरना पड़ता है। यहां से निकलने के दौरान विद्यार्थी जूते मौजे हाथ में लेकर सड़क तक पहुंचते है। बीती रात की बात करे तो दो बाइक सवार इस जमा पानी में गिरकी घायल हो गए है। ऐसा वाक्या यहां रोजाना देखने को मिलता है।
ग्रामीणों का कहना
स्कूली बच्चे को आ रही ज्यादा परेशानी
सभी अधिकारियों को अवगत करवाने के बाद भी किसी ने भी ग्राम हत्याखेड़ी की सुध नहीं है। रात के समय आए दिन वाहन चालक बारिश के पानी में गिरकर घायल हो रहे हैं। इतना ही नहीं सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को आ रही है। रात में जहरीले जानवरों का भी डर सताता है।
शांतिलाल पटेल, ग्राम हत्या खेड़ी
अफसरों की लापरवाही के चलते निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। ग्रामवासियों को रेलवे लाइन का सहारा लेना पड़ रहा है। आए दिन यहां दुर्घटना होती है।
अंंतरसिंह आंजना, ग्राम वूसली पटेल