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रोजगार बंद तो मनरेगा की मजदूरी बनी सहारा

-मनरेगा के सहारे चला रहे रोजी-रोटी

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कोरोना वायरस प्रतीकात्मक फोटो

कोरोना वायरस प्रतीकात्मक फोटो

नरसिंगपुर. कोरोना के चलतते लागू लॉकडाउन ने काम-धंधा छीन लिया। छोटा-मोटा रोजगार कर के जैसे तैसे परिवार का भरण-पोषण हो रहा था लेकिन सब कुछ बंद हो गया। ऐसे में अब पेट पालने के लिए मजूरी ही विकल्प रह गई। सो मनरेगा के तहत मजूरी करने को बाध्य हैं।

लॉकडाउन के चलते पिछले दो महीने से ज्यादा वक्त गुजर गया सब कुछ बंद चल रहा है। ऐसे में शहर हो या गांव हर तरफ रोजी-रोजगार बुरी तरह से चौपट हो गया है। लेकिन परिवार का भरण-पोषण तो करना है। लिहाजा जो भी काम मिल जाए उसी से काम चलाना है। लिहाजा कई रोजगारपरक लोगों ने मनरेगा के तहत जॉब कॉर्ड बनवा कर मजदूरी शुरू कर दी है।

तेंदूखेड़ा के नजदीकी गांव मदनपुर में मनरेगा के तहत मेढ़ बंदी कार्य में जुटे रमेश पाली कहते हैं कि दो माह पहले वह बकरी पालन करते थे। लेकिन वह काम लॉकडाउन में ठप हो गया तो अब फिलहाल मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं।
शामियाने के रोजगार से जुड़े जमनाराय कहते हैं रोजगार तो बढ़िया चल रहा था, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है काम बंद है। ऐसे में मनरेगा ही सहारा बन गया है। मनोहर कुशवाहा व साधना कुशवाहा साग-सब्जी के रोजगारी थे, लेकिन अब वह भी मजूरी करने को विवश हैं। ऐसे तमाम लोग हैं जिनका रोजगार बंद है तो वो मनरेगा के तहत मजदूरी करने को विवश हैं।