अधिवक्ता हर्ष की ओर से दाखिल याचिका में कहा कि, अग्निपथ योजना के तहत 4 साल के लिए युवाओं की सेना में भर्ती की जा रही है। इसके बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को ही आगे स्थायी किया जाएगा।
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उन्होंने दलील दी है कि युवावस्था में चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीर आत्म-अनुशासन बनाए रखने के लिए न तो पेशेवर रूप से और न व्यक्तिगत रूप से पर्याप्त परिपक्व होंगे। यही वजह है कि, प्रशिक्षित अग्निवीरों के भटकने की बहुत संभावनाएं हैं।
पहले की याचिका में क्या कहा गया?
इससे पहले, मनोहर लाल शर्मा ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि सरकार ने सेना में भर्ती की दशकों पुरानी नीति को संसद की अनुमति के बिना बदल दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा है कि अधिकारियों के लिए सेना में स्थायी कमीशन होता है और वो 60 साल तक की उम्र में रिटायर हो सकते हैं।
वहीं 18 जून को एडवोकेट विशाल तिवारी ने जनहित याचिका के जरिए अग्निपथ हिंसा मामले में एसआईटी जांच कराए की मांग की। उन्होंने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए इसे परखने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी के गठन की भी मांग की थी।
केंद्र सरकार की तरफ से भी कैवियट दाखिल की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि कोई भी निर्णय या फैसला लेने से पहले सरकार का पक्ष भी सुना जाए।
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