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Agneepath Scheme के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई तीसरी याचिका, केंद्र सरकार भी पहुंची शीर्ष अदालत

सेना में भर्ती की केंद्र सरकार की योजना अग्निपथ को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सड़क से लेकर ये विवाद अब अदालत तक जा पहुंचा है। देश की सर्वोच्च अदालत में भी इस योजना के खिलाफ तीसरी याचिका दाखिल की गई है। वहीं केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

नई दिल्लीJun 21, 2022 / 11:57 am

धीरज शर्मा

Agneepath Scheme 3rd Petition In Supreme Court Challenging The Notification Centre Files Caveat

Agneepath Scheme 3rd Petition In Supreme Court Challenging The Notification Centre Files Caveat

सेना में भर्ती की नई योजना अग्निपथ पर विवाज बदस्तूर जारी है। एक तरफ छात्र तो दूसरी तरफ राजनीतिक दल इस योजना का जमकर विरोध कर रहे हैं। इस बीच देश की शीर्ष अदालत में भी ये मुद्दा पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में अग्निपथ के खिलाफ तीसरी याचिका दाखिल की गई है। जबकि केंद्र सरकार भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में अग्निपथ योजना पर रोक लगाने की मांग की गई है। उधर केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दाखिल करके कहा गया है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले केंद्र का पक्ष भी सुना जाए।
अग्निपथ स्कीम को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के बीच अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर जा पहुंचा है। इस मामले में तीनों याचिकाएं तीन वकीलों ने दाखिल की हैं। पहली दो याचिकाएं एडवोकेट विशाल तिवारी और एमएल शर्मा ने दायर की थी। इसके बाद एडवोकेट हर्ष अजय सिंह ने भी एक याचिका देकर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुजरिश की।

अधिवक्ता हर्ष की ओर से दाखिल याचिका में कहा कि, अग्निपथ योजना के तहत 4 साल के लिए युवाओं की सेना में भर्ती की जा रही है। इसके बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को ही आगे स्थायी किया जाएगा।

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उन्होंने दलील दी है कि युवावस्था में चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीर आत्म-अनुशासन बनाए रखने के लिए न तो पेशेवर रूप से और न व्यक्तिगत रूप से पर्याप्त परिपक्व होंगे। यही वजह है कि, प्रशिक्षित अग्निवीरों के भटकने की बहुत संभावनाएं हैं।

पहले की याचिका में क्या कहा गया?
इससे पहले, मनोहर लाल शर्मा ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि सरकार ने सेना में भर्ती की दशकों पुरानी नीति को संसद की अनुमति के बिना बदल दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा है कि अधिकारियों के लिए सेना में स्थायी कमीशन होता है और वो 60 साल तक की उम्र में रिटायर हो सकते हैं।

शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के तहत सेना में शामिल होने वालों के लिए 10/14 साल तक सर्विस का विकल्प होता है। इसके उलट सरकार अब युवाओं को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर रखने लिए अग्निपथ स्कीम लेकर आई है। ऐसे में 14 जून के ऑर्डर और नोटिफिकेशन को खारिज करके गैर संवैधानिक घोषित किया जाए।

वहीं 18 जून को एडवोकेट विशाल तिवारी ने जनहित याचिका के जरिए अग्निपथ हिंसा मामले में एसआईटी जांच कराए की मांग की। उन्होंने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए इसे परखने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी के गठन की भी मांग की थी।

केंद्र ने भी दाखिल की कैवियट
केंद्र सरकार की तरफ से भी कैवियट दाखिल की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि कोई भी निर्णय या फैसला लेने से पहले सरकार का पक्ष भी सुना जाए।

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