यह घोषणा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ( Narendra Singh Tomar ) ने शनिवार को की। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों की प्रमुख मांग थी कि पराली जलाने ( Stubble Burning ) को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाए, इसलिए किसानों की यह मांग केंद्र सरकार ने मान ली है। यही नहीं कृषि मंत्री ने ये भी बताया कि किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों का निपटारा कैसे होगा।
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आउट ऑफ कंट्रोल हुआ कोरोना वायरस, गवर्नर ने किया डिजास्टर इमरजेंसी का ऐलान किसानों को लेकर केंद्र सरकार का रवैया अचानक नरम पड़ गया। पहले एक साल से चल रहे तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया अब किसानों की एक और मांग को सरकार ने मान लिया है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पराली जलाना अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। दरअसल अब तक पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किए जाते थे, जिसको लेकर किसानों की मांग थी कि पराली के अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाएगा।
इसके अलावा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है अब किसान आंदोलन का कोई मतलब नहीं बनता है। तोमर ने कहा कि किसान बड़े मन का परिचय दें। प्रधानमंत्री की घोषणा का आदर करें और अपने-अपने घर लौटना सुनिश्चित करें।
यह भी पढ़ेंः कोरोना के नए वैरिएंट के बीच पीएम मोदी ने उठाया बड़ा कदम, जानिए क्या बोले अरविंद केजरीवाल राज्य करें दर्ज मामलों का फैसलाकृषि मंत्री ने कहा कि किसानों पर दर्ज मामले खत्म करने की मांग को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि, जहां तक विरोध के दौरान दर्ज मामलों का संबंध है, यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है और वे इस पर फैसला लेंगे। राज्य सरकारें अपनी राज्य नीति के मुताबिक मुआवजे के मुद्दे पर भी निर्णय लेंगी।
तोमर ने कहा कि, पीएम मोदी ने फसल विविधीकरण, शून्य-बजट खेती, और MSP सिस्टम को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की है। इस कमेटी में किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।