प्रदर्शनकारी इतना गुस्सा हुए थे कि उन्होंने पुलिस की लाठीचार्ज के बाद पथराव भी किया जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। इस दौरान पुलिस की गाड़ी और एक शिक्षण संस्थान की बस को भी आग के हवाले कर दिया गया। यही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने परिवहन मंत्री पी. विश्वरुपु के घर पर भी हमला किया और यहाँ जमकर तोड़-फोड़ की।
वहीं, राज्य की गृहमंत्री तानेती वनिता ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक पार्टियों और असामाजिक तत्वों ने जनता को भड़काया और इस तरह की हिंसा को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि ‘‘ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस हिंसक घटना में करीब 20 पुलिस कर्मियों को चोट आई हैं। हम मामले की जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ एक्शन लेंगे।’’
वहीं, राज्य की गृहमंत्री तानेती वनिता ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक पार्टियों और असामाजिक तत्वों ने जनता को भड़काया और इस तरह की हिंसा को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि ‘‘ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस हिंसक घटना में करीब 20 पुलिस कर्मियों को चोट आई हैं। हम मामले की जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ एक्शन लेंगे।’’
यह भी पढ़ें
चंबल के बीहड़ में लगी भीषण आग, उठती लपटें देख लोग सहमे
कोनसीमा एसपी के.एस.एस.वी. सुब्बा रेड्डी ने कहा “हम संघर्ष में घायल हुए कर्मियों की सही संख्या नहीं जानते हैं। संघर्ष जिले का नाम बदलने के प्रस्ताव पर लोगों और समूहों के विभिन्न वर्गों द्वारा शुरू किए गए एक ऑनलाइन अभियान का परिणाम था।"बता दें कि 4 अप्रैल को पूर्वी गोदावरी जिले से अलग कर कोनासीमा जिले का गठन किया गया था और उसी का नाम बदला गया है। पिछले सप्ताह जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा गया था तब विरोध को देखते हुए कोनसीमा जिले में धारा 144 लागू कर दी गई थी। हालांकि, इसके बावजूद भीड़ को नियंत्रित कने में पुलिस विफल रही।
यह भी पढ़ें