झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन में फर्जीवाड़े की शिकायत बुद्धदेव उरांव ने की थी। इस मामले को लेकर 2008 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में प्रथम और दूसरी पाली में हुए खेल का खुलासा किया था। बताया था कि प्रथम सिविल सेवा में 62 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था जबकि द्वितीय सिविल सेवा में 172 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए थे। लेक्चरर नियुक्ति परीक्षा में 751 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए थे। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इन परीक्षाओं की सीबीआई जांच करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही नियुक्ति पर ही रोक लगा दी थी।