हर व्यक्ति पर पैनी नजर
प. बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुडिशल साइंसेज कोलकाता के लॉ एंड टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शौविक कुमार गुहा कहत हैं कि एआई टूल मतदाता के डेटा का संग्रह, प्रबंधन और विश्लेषण में सहायक है। हर व्यक्ति पर नजर रखता है। एआई एल्गोरिदम्स मतदान के आधार पर समर्थन और विरोध करने की संभावित प्रक्रिया को विश्लेषित करने में भी सहायक है।
डेटा का पूर्वानुमान, मतदान की भविष्यवाणी
साइबर एक्सपर्ट आशीष खंडेलवाल का कहना है कि एआई से मतदाताओं की प्रोफाइल मॉनीटरिंग कर उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार उम्मीदवार अपने संदेश और प्रचार सामग्री को कस्टमाइज कर सकते हैं। एआई-संचालित डेटा विश्लेषण राजनीतिक दलों को मतदाताओं की भावनाओं और रुझानों को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है। इससे नतीजों का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है। यह जानकारी लक्षित प्रचार अभियानों से खास मतदाता समूहों को प्रभावित कर सकती है।
कंटेंट क्रिएशन में भी मददगार
खंडेलवाल कहते हैं कि एआई सभी कामों में मदद करता है। एआई टूल्स विभिन्न स्रोतों से डेटा को संग्रहित कर सकते हैं, जैसे कि सोशल मीडिया, वेबसाइट्स, सर्वेक्षण आदि से। फिर इनका विश्लेषण कर कैंपेन को भी प्रभावी बना सकते हैं। साथ ही एआई कंटेंट क्रिएशन में भी मदद करता है।
फर्जी आइडी की आशंका!
एआई का इस्तेमाल करते हुए किसी व्यक्ति का फर्जी फोटो, ऑडियो या वीडियो इस तरह तैयार किया जा सकता है कि वह एकदम असली ही लगे। प्रमुख हस्तियों, राजनेताओं या अन्य हित धारकों के पुराने फोटो या आवाज का इस्तेमाल करते हुए ऐसा किया जा सकता है। साथ ही एआई की मदद से वोटर कार्ड में फोटो एडिटिंग के बाद फर्जी मतदान के प्रयास भी संभव हैं।