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जापान ने कोलकाता पर गिराए थे बम, जानें क्या है इस पुल का इतिहास और खासियत

20 दिसंबर, 1942 को जापान ने भारत के कोलकाता पर बम बरसाए थे। जापान के निशाने पर कोलकाता का हावड़ा ब्रिज था, जिसको वह तबाह चाहता था।

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20 दिसंबर की तारीख देश दुनिया के इतिहास में कई अहम वजह से दर्ज है। 81 साल पहले इसी दिन तारीख को जापान ने भारत के कलकत्ता (कोलकाता) में बम गिराए थे। यह बात 1942 की, जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। उस समयें अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश नाजी जर्मनी से लड़ रहे थे। भारत तब ब्रिटेन का उपनिवेश था। ब्रिटेन भारत की जमीन का इस्तेमाल युद्ध के दौरान अपने सहयोगियों तक मदद पहुंचाने में कर रहा था। कोलकाता (पहले कलकत्ता) अंग्रेजों का गढ़ हुआ करता था। 20 दिसंबर, 1942 में रात के समय कोलकाता में लोग सो रहे थे तबी अचानक शहर के ऊपर जापानी लड़ाकू विमान मंडराने लगे। जापान एयरफोर्स के ‘8 मित्सुबिशी’ विमानों ने बमबारी शुरू कर दी। आइए जानते हैं हावड़ा ब्रिज के बारे में कुछ रोचक तथ्य।


बमबारी में कई अहम इमारतें तबाह

20 दिसंबर, 1942 को बड़ा फैसला लेते हुए जापान की इंपीरियल आर्मी एयरफोर्स ने आधी रात को कोलकाता पर बम गिराए। इस बमबारी की वजह से शहर की कई अहम इमारतें तबाह हो गईं। हाथी बागान से लेकर सेंट जॉन चर्च तक उजाड़ डाला। वर्तमान में भारत और जापान के बीच अच्छी दोस्ती है, लेकिन बंगालियों के दिमाग से आज भी वह घटना ताजा है।

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हावड़ा ब्रिज क्यों था निशाने पर?

जापानी एयरफोर्स के निशाने पर कोलकाता का मशहूर हावड़ा ब्रिज था। क्योंकि उस समय हावड़ा ब्रिज, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पुल था। इसके पास में बंदरगाह भी था। इसलिए जापान ब्रिज के साथ-साथ बंदरगाह नष्ट करना चाहता था। इसके लिए जापानी सेना ने रात का समय चुना, लेकिन उसका निशाना चूक गया और हावड़ा ब्रिज की जगह बम एक होटल पर जा गिरा।

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ब्रिटिश हुकूमत ने दिया था मुंहतोड़ जवाब

जापनी एयरफोर्स के हमले के बाद ब्रिटिश हुकूमत सतर्क हो गई थी। ब्रिटिश ने जापान को मुंहतोड़ जवाब देने का फैसला किया है। उन्होंने जापान के खिलाफ अपने फाइटर प्लेन तैनात कर दिए, जो कहीं उन्नत और शक्तिशाली थे।

बिना नट-बोल्ट के बने हावड़ा ब्रिज से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

हावड़ा ब्रिज कोलकाता शहर में हुगली नदी पर बना हुआ है। यह भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। इस पुल का निर्माण 1936 साल में शुरू हुआ और 1942 में बनकर तैयार हुआ था। उसके बाद 3 फरवरी, 1943 को आम जनता ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उस समय यह दुनिया में अपनी तरह का तीसरा सबसे लंबा ब्रिज था आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस ब्रिज को बिना नट बोल्ट के बनाया गया है। इसमें स्टील प्लेटों को जोड़ने के लिए धातु के कीलों को काम में लिया गया है। इसको बनाने में 26.5 हजार टन स्टील का प्रयोग हुआ है। पूरा ब्रिज नदी के दोनों किनारों पर बने दो पायों पर टिका हुआ है। इसके इन दो पायों की ऊंचाई 280 फीट है और इसकी बीच की दूरी 1500 फीट है। इसको बनाने लिए ब्रेथवेट, बर्न एंड जोसेप कंस्ट्रक्शन कंपनी को काम दिया गया था।

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