जगतिल जिले के रहने वाले फ्लाइंग अफसर कुंडारपू कौशिक अपनी टीम में सबसे कम उम्र के कैडेट हैं। उन्हें पायलट पाठ्यक्रम में सबसे ज्यादा अंक लाने के लिए छोटी सी उम्र में राष्ट्रपति के फलक और एयर स्टाफ प्रमुख से सम्मानित किया गया।
उन्हें ये सब आसानी से हासिल नहीं हुआ। उनकी कहानी जानकर आप उनके जज्बे को सलाम करेंगे। जब वे पांचवीं क्लास में थे तभी उनके पापा ने निश्चय किया कि उनका बेटा सैनिक स्कूल ज्वॉइन करेगा और किस्मत से उन्होंने कोरुकोण्डा के विजियनग्राम में एक सीट भी हासिल कर ली।
कौशिक के पिता नारायण कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि उनका ये निर्णय उनके पुराने सपने को पूरा कर देगा तथा साथ ही उनके बेटे के जीवन को भी बदल देगा। कौशिक अपने सपने को पूरा करने के लिए 11 साल अपने घरवालों से दूर रहे हैं।
कोशिक ने कहा कि जब वे पांचवीं क्लास में थे तथी उनके घरवाले उन्हें सैनिक स्कूल में छोड कर चले गए थे। उस समय से ही उनके लक्ष्य देश के लिए सेवा करने का था। उन्होंने आगे कहा कि मैने आईआईटी और मेडिसिन की भी पढ़ाई पूरी की लेकिन मेरा उद्देश्य हमेशा देश सेवा करने का ही रहा।