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15 घंटे बाद भूख नहीं हुई बर्दाश्त तो दोस्तों के लिए खाना लेने निकल पड़ा नवीन, करीबी दोस्त ने बताया उन आखिरी पलों का हाल

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने भारत को भी बड़ा जख्म दिया है। कर्नाटक निवासी नवीन शेखरप्पा की मौत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। नवीन के साथ ही कई अन्य भारतीय छात्र भी वहां फंसे हैं। नवीन के ऐसे ही करीबी दोस्तो ने बताया जब 15 घंटे तक भूख बर्दाश्त नहीं हुई तो दोस्तों के लिए खाना लेने के लिए नवीन बंकर से बाहर निकल आया। दोस्तों ने बताया उन आखिरी पलों का हाल।

Mar 02, 2022 / 11:03 am

धीरज शर्मा

Naveen Shekharappa Had Left Himachal's Friend Ankur In The Bunker To Bring Food

Naveen Shekharappa Had Left Himachal’s Friend Ankur In The Bunker To Bring Food

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए कर्नाटक के नवीन शेखरप्पा की मौत की खबर जिसने सुनी हर कोई सन्न रह गया। नवीन के साथ उस दौरान उसके कुछ और दोस्त भी बंकर में थे। लेकिन ये सभी कई घंटों से भूख और प्यास से बिलख रहे थे। हालांकि बाहर रूसी सेना जिस तरह कहर बरपा रही थी, इनमें से किसी की हिम्मत नहीं थी कि खान का बंदोबस्त करने बाहर जा सकें। ऐसे में जब 15 घंटे से ज्यादा वक्त बीत गया और भूख बर्दाश्त नहीं हुई तो नवीन ने हिम्मत दिखाई। वो अपने और दोस्तों के लिए खाना लेने उस बंकर से बाहर निकला जहां वो महफूज था। लेकिन शायद उसे ये नहीं पता था कि ये उसका आखिरी सफर है। बंकर में मौजूद हिमाचल के रहने वाले अंकुर नवीन के ही दोस्त हैं। उन्होंने बताया कि आखिर उन आखिरी पलों में क्या हुआ?



सुबह 10 बजे नवीन बंकर से बाहर निकला

हिमाचल प्रदेश के अंकुर ने बताया कि बंकर में हम सब 15 घंटों से भूखे-प्यासे थे। भूख किसी से बर्दाश्त नहीं हो रही थी, लेकिन हर किसी को इस बात का डर था कि बाहर निकले तो बेमौत मारे जाएंगे। काफी देर तक हर कोई एक दूसरे को देख रहा था, लेकिन बाहर जाने की हिम्मत किसी में नहीं थी।

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हम समझ रहे थे, खाना नहीं मिला तो हम भूख और प्यास से भी मर सकते हैं, लेकिन फिर भी बंकर के बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। हमारी तरह नवीन भी भूख से तड़प रहा था। लेकिन इससे ज्यादा उसको तकलीफ दे रही थी दूसरों की भूख।

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अंकुर की मानें तो आखिरकार नवीन ने हिम्मत दिखाई। अपने और हम सबके लिए खाना लेने के लिए नवीन सुबह 10 बजे बंकर से बाहर निकला।

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सुंदरनगर के धनोटू निवासी अंकुर चंदेल और लोअर बैहली की रहने वाली छात्रा रिशिता ने अपने परिवार वालों को बताया कि, वह और रिशिता नवीन के साथ ही बंकर में रह रहे थे।

नवीन की मौत से बंकर में रहे रहे उसके 250 साथी सदमे में हैं। उनकी लोकेशन ट्रेस न हो, इसलिए यूनिवर्सिटी ने उन्हें मोबाइल बंद करने के लिए कहा है।

अंकुर ने अपने पिता को यह सब जानकारी देते हुए बताया कि बंकर में सोने के लिए न कंबल हैं, न खाने का सामान और न टायलेट में पानी है।


अंकुर का छलका दर्द

अंकुर ने बताया कि वहां से निकालने के लिए भारत सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। उन्हें केवल एडवाइजरी भेजी जा रही है कि जहां हैं, वहीं रहो, लेकिन बंकर में वैसे ही भूखे-प्यासे मर जाएंगे।

अब स्थिति बेहद भयावह हो गई है। अंकुर ने बताया कि खारकीव में करीब 5000 भारतीय छात्र हैं। उसने और उसके साथी छात्रों ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द यहां से निकालने का इंतजाम किया जाए।



और नवीन नहीं रहा…

नवीन के एक और दोस्त श्रीकांत ने रुंधे गले से बताया, नवीन खाना लेने जब बाहर गया तब भी हम उसके संपर्क में थे। ‘मैंने उससे कहा, ‘मैं राशि ट्रांसफर कर रहा हूं इससे 10 मिनट बाद मैंने बमबारी और मिसाइल की आवाज सुनी। मैंने उसे फोन लगाया लेकिन उसने नहीं उठाया। इसके करीब आधे घंटे बाद जब मैं फिर फोन लगाने की कोशिश की तो एक यूक्रेनियन ने कॉल रिसीव किया।

उन्‍होंने कुछ कहा कि मैं समझ नहीं सका। ऐसे में मैंने अपने पड़ोसी को फोन दिया जो हमारे साथ शेल्‍टर में था। वह महिला बोल रही थी और उसने रोना शुरू कर दिया। मैंने पूछा कि क्‍या हुआ तो उसने बताया कि वह (नवीन) नहीं रहा।’

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