प्राइवेट कंपनियों में उत्सुकता
एक रिपोर्ट के अनुसार, प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से बनाए जाने वाले इस IMRH का वज़न 13 टन का होगा। भारतीय सशस्त्र बलों में इसका हवाई हमले, एंटी-सबमरीन, एंटी-शिप, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट और वीवीआईपी की भूमिका में होगा। बताया जा रहा है कि भारतीय प्राइवेट कंपनियों ने पहले ही इस परियोजना में हिस्सा लेने के लिए अपनी उत्सुकता जताई थी और रक्षा मंत्रालय ने उन्हें अगले सात सालों में इनके निर्माण करने के लिए कहा है।
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फ्रांसीसी कंपनी का एएचएल से समझौता
आपको बता दें कि हाल ही में 8 जुलाई को फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान (Safran) ने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ एक समझौता किया है। इसका मकसद एक नया जॉइंट वेंचर बनाना है। IMRH के लिए इंजन विकसित करेगा और उसका उत्पादन करेगा। माना जा रहा है कि इसमें IMRH के नौसेना संस्करण के इंजन का डेवलपमेंट एंड प्रोडक्शन शामिल होगा।
25 प्रतिशत प्रोडक्टर निर्यात करने की भी होगी इजाजत
बताया जा रहा है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी अपने उत्पादन का 25 प्रतिशत तीसरे देशों को निर्यात करने और देश के लिए विदेशी मुद्रा जुटाने की इजाजत होगी। भारतीय सशस्त्र बलों को विकसित आईएमआरएच खरीदने के लिए कहा गया है जिसे अगले सात वर्षों में लागू करने की योजना है।
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प्राइवेट सेक्टर को मिलेगी 51 फीसदी की हिस्सेदारी
एक रिपोर्ट के अनुसार, प्राइवेट सेक्टर को 51 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने और भारतीय सार्वजनिक यूनिट के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाने की अनुमति दी गई है। इसकी लागत को कम किया जा सके। निजी क्षेत्र की कंपनियों ने रक्षा मंत्रालय से कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा तब भी IMRH हेलीकॉप्टरों की खरीद की जाएगी, यदि उनका उत्पादन अगले 5 वर्षों में ही शुरू हो जाता है।