सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को एक मामले में जमानत मिलने के बाद उन्हें दूसरे मामले में रिमांड पर ले लिया जाता है और यह दुष्चक्र जारी है। इसके साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि बुधवार को अगली सुनवाई तक उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज 5 प्राथमिकी में कोई ‘प्रारंभिक कार्रवाई’ न की जाए।
एक मामले में जमानत मिलने पर दूसरे में किया जाता गिरफ्तार-
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए. एस. बोपन्ना ने जुबैर द्वारा यूपी पुलिस की ओर से उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को निर्धारित की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, “सभी प्राथमिकी की सामग्री समान प्रतीत होती है। लेकिन समस्या दुष्चक्र को लेकर है। उन्हें एक मामले में अंतरिम जमानत मिलती है, लेकिन किसी अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया जाता है।
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यूपी पुलिस ने जुबैर पर दर्ज की है छह प्राथमिकी-
वकील वृंदा ग्रोवर द्वारा मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग के बाद जुबैर की याचिका पर विचार किया गया। वकील ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि अभी तक यूपी में छह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं – दो हाथरस में और एक-एक लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और सीतापुर में। शीर्ष अदालत ने सीतापुर मामले में उनके मुवक्किल को राहत दी, लखीमपुर खीरी के मामले में एक और वारंट आ आया। वकील ने बताया कि पिछले हफ्ते दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली की प्राथमिकी में उन्हें जमानत दे दी थी।
वकील बोले- मेरे मुवक्किल पर टारगेट कर हो रही कार्रवाई-
ग्रोवर ने कहा कि सभी प्राथमिकी पुराने ट्वीट्स पर आधारित हैं और पुलिस अब कह रही है कि वे बड़ी साजिश और फंडिंग की जांच कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी मुद्दे दिल्ली में दर्ज प्राथमिकी में पहले से ही शामिल हैं। वकील ग्रोवर ने कहा कि मेरे मुवक्किल पर टारगेट कर कार्रवाई की जा रही है। जो कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसे समाप्त होना चाहिए।
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मोहम्मद जुबैर ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा-
दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने कहा, “चूंकि याचिका आज बोर्ड पर नहीं है, हम रजिस्ट्री को 20 जुलाई को मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं। इस बीच, हम निर्देश देते हैं कि अदालत की अनुमति के बिना 5 प्राथमिकी में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी प्रारंभिक कार्रवाई न की जाए। बता दें कि जुबैर ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज छह प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और प्राथमिकी के संबंध में अंतरिम जमानत भी मांगी थी।